लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कारीगरों, शिल्पकारों और राज्यों से कहा है कि वे भारतीय शिल्पों के स्तर को नहीं गिरने दें और ऐसे प्रयास किये जाने चाहिये कि नई पीढ़ी की रुचि इसमें बनी रहे.
मीरा कुमार ने 26वें सूरजकुंड शिल्प मेले का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारतीय शिल्पकलाओं के स्तर को उंचा उठाने के लिए शिल्पकला विश्वविद्यालय स्थापित करने पर विचार किया जाना चाहिए और प्रोफेसर के रूप में जाने माने शिल्पकारों की सेवायें नई पीढ़ी को शिल्पकलायें सिखाने के लिए ली जानी चाहिये. ऐसे शिल्प छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर तक की डिग्रियां दी जानी चाहिये और शिल्पकलाओं में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
उन्होंने मेले में थीम राज्य के रूप में शामिल असम के मंडप का उद्घाटन करके मेले का शुभारंभ किया. वे ‘नाम घर’ और असम तथा हरियाणा के ‘अपना घर’ भी देखने गईं जहां उन्होंने इन दोनों राज्यों के लोगों के रहन सहन की शैली को देखा. सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का उद्घाटन समारोह मेला परिसर में चौपाल में हुआ.
कुमार ने केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई सहित विशिष्ट अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया. उन्होंने हरियाणा असम थाईलैंड दक्षेस देशों और यूरेशिया के देशों को मेले में शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी. कुमार ने कहा कि मेले ने 25 वर्ष पूरे कर लिये हैं मेरी कामना है कि मेला 125 वर्षों तक इसी प्रकार उत्तरोत्तर तरक्की करता रहे.
मीरा कुमार ने विश्वव्यापी आर्थिक संकट के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिरता की सराहना की और कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है. हमारे देश में 148 बोलियां 22 भाषायें और विभिन्न क्षेत्रों की अलग-अलग संस्कृतियां हैं लेकिन इस विविधता में एकता कायम है. उन्होंने राज्यों से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने की बात कही जो एक प्रदूषण रहित उद्योग है. उन्होंने कहा कि इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि विदेशी पर्यटकों के आने से अन्य देशों के साथ हमारे संपर्क भी बढ़ेंगे.
उन्होंने हरियाणवी नृत्य, असम के बिहू नृत्य और कांगों के कलाकारों के नृत्य की सराहना की. किर्गिस्तान और उजबेकिस्तान के कलाकारों ने भी सुन्दर वेशभूषाओं में बहुत ही मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किये.
इस मौके पर केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला 25 वर्षों का लम्बा सफर तय कर चुका है. यह मेला एक अंतरराष्ट्रीय शिल्प बाजार बनता जा रहा है तथा ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है.