बंबई उच्च न्यायालय में अजमल कसाब के खिलाफ मुंबई आतंकी हमला मामले का घटनाक्रम
18 अक्तूबर 2010: उच्च न्यायालय में कसाब मामले की सुनवाई शुरू, कसाब वीडियो कांफ्रेंस के जरिए स्क्रीन पर नजर आया.
19 अक्तूबर 2010 : कसाब ने अदालत में हल्ला मचाया, कैमरे पर थूका और कहा,‘‘मुझे अमेरिका भेज दो.’’ न्यायाधीश ने उससे ठीक व्यवहार करने को कहा.
21 अक्तूबर 2010 : कसाब ने अपने वकील से कहा कि वह खुद अदालत में पेश होना चाहता है.
25 अक्तूबर 2010 : उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने सीसीटीवी की फुटेज देखी, जिसमें कसाब मौजूद.
27 अक्तूबर 2010 : सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कसाब को दी गई मौत की सजा को जायज ठहराया.
29 अक्तूबर : कसाब ने कई तरह की घुमावदार बातें कहकर अदालत को बरगलाया, निकम से बहस.
19 नवंबर 2010 : निकम ने बताया कि मुंबई हमलावर मुस्लिमों के लिए अलग राज्य चाहते थे.
22 नवंबर 2010 : कसाब झूठा और चालबाज है, निकम की दलील.
23 नवंबर 2010 : उच्च न्यायालय ने कसाब और इस्माइल वाली सीसीटीवी फुटेज फिर देखी.
24 नवंबर 2010 : निकम ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने कसाब की स्वीकारोक्ति को आंशिक रूप से स्वीकार करके गलती की.{mospagebreak}
30 नवंबर 2010 : कसाब के वकील सोलकर ने दलील दी कि कसाब के खिलाफ ‘‘देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप’’ नहीं लगाया गया.
2 दिसंबर 2010 : कसाब के वकील ने कहा कि कसाब छोटी नौका डिंगी से पाकिस्तान से नहीं आया था. कहा वह नौका इतनी छोटी होती है कि उसमें दस लोग सवार नहीं हो सकते.
3 दिसंबर 2010 : सोलकर ने कहा, पुलिस ने कसाब को फंसाने के लिए झूठी कहानी गढ़ी.
5 दिसंबर 2010: कसाब को घेरने के लिए सुबूत दबा दिए और अदालत को केवल सीसीटीवी फुटेज दिखाई: सोलकर
6 दिसंबर 2010: आतंकी गतिविधियों में कसाब के शामिल होने की अदालत को दिखाई गई तस्वीर झूठी: सोलकर
7 दिसंबर 2010 : कसाब ने इस बात से इंकार किया कि उसने हेमंत करकरे सहित तीन पुलिस अधिकारियों को मारा. उसके वकील ने दलील दी कि पुलिस अधिकारियों के शरीर में पाई गई गोलियां कसाब की रायफल की गोलियों से नहीं मिलतीं.
8 दिसंबर 2010 : सोलकर ने कहा कि पुलिस ने कसाब को फंसाने के लिए 26 नवंबर 2008 को गिरगौम चौपाटी पर फर्जी मुठभेड़ का नाटक किया. उन्होंने कहा कि कसाब मौके पर मौजूद ही नहीं था और उसकी गिरफ्तारी का भी नाटक किया गया.{mospagebreak}
9 दिसंबर 2010 : कसाब के वकील ने दलील दी उसके मुवक्किल के खिलाफ सबूत कमजोर हैं और उसने करकरे को नहीं मारा.
10 दिसंबर 2010 : कसाब के वकीलों ने निचली अदालत में रखी डिंगी नौका का निरीक्षण कर दावा किया कि इसमें दस व्यक्ति नहीं बैठ सकते थे और अभियोजन पक्ष का दावा झूठा है.
13 दिसंबर 2010 : कसाब ने नाबालिग होने का तर्क देते हुए अपनी मानसिक स्थिति की जांच करने के लिए अदालत से चिकित्सा विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त करने का अनुरोध किया.
14 दिसंबर 2010 : अदालत ने कसाब का नाबालिग होने का तर्क और उसकी मानसिक हालत की जांच के लिए परीक्षण करने की मांग खारिज की.
21 दिसंबर 2010 : मुंबई हमला मामले में फहीम अंसारी को बरी करने के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अदालत ने सुनवाई की. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उच्च न्यायालय में फहीम को पेश किया क्योंकि वह एक अन्य मामले में उसकी हिरासत में था.
22 दिसंबर 2010 : सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने दलील दी कि निचली अदालत ने फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर भूल की है.
5 जनवरी 2011 : निकम ने अदालत से कहा कि सबाउद्दीन और फहीम 26 नवंबर को हुए मुंबई हमला मामले में सह-षड्यंत्रकारी हैं.{mospagebreak}
6 जनवरी 2011 : फहीम के वकील आर बी मोकाशी ने अभियोजन पक्ष का षड्यंत्र रचने का आरोप खारिज करते हुए कहा कि सबूत कमजोर हैं. मोकाशी ने कहा कि लक्ष्यों का वह नक्शा फर्जी था जो कथित तौर पर फहीम ने तैयार किया था और जो मारे गए आतंकवादी अबू इस्माइल की जेब में पाया गया था.
7 जनवरी 2011 : निकम ने दलील दी कि फहीम ने फर्जी नामों और झूठे दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट हासिल कर पाकिस्तान सरकार को धोखा दिया.
10 जनवरी 2011 : निकम ने कहा कि सबाउद्दीन मुख्य षड्यंत्रकारी है और उसने ही फहीम द्वारा तैयार नक्शा लश्कर ए तैयबा को दिया था. लश्कर ए तैयबा ने यह नक्शा हमले को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों को दिया.
11 जनवरी 2011 : निकम ने बचाव पक्ष की इस दलील को गलत बताया कि फहीम द्वारा तैयार किया गया नक्शा मारे गए आतंकवादी अबू इस्माइल की जेब में बाद में रखा गया था.
13 जनवरी 2011 : सबाउद्दीन के वकील ऐजाज नकवी ने मुंबई हमला मामले में सबाउद्दीन की भूमिका होने से इंकार किया. उन्होंने कहा कि सबाउद्दीन के खिलाफ सबूत कमजोर हैं.
17 जनवरी 2011 : जिरह समाप्त हुई, अदालत ने अपना आदेश सात फरवरी तक सुरक्षित रखा.
7 फरवरी 2011 : अदालत ने कहा कि वह व्यापक दस्तावेजी कार्य और गहन संकलन की वजह से वह अपना फैसला 21 फरवरी को सुनाएगी.
21 फरवरी 2011 : अदालत ने कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि की और फहीम अंसारी तथा सबाउद्दीन को बरी किए जाने का फैसला बरकरार रखा.