केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए पी जे थामस ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि पामोलिन आयात पामले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं मिली है.
शीर्ष न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में थामस ने कहा कि इस पद के लिए उनके नाम पर विचार केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त द्वारा इस बाबत मंजूरी दिये जाने के बाद किया गया था. उन्होंने कहा कि सीवीसी के पद के लिए जिन नामों पर विचार किया गया उनमें वह सबसे वरिष्ठ नौकरशाह थे.
थामस ने अपने हलफनामे में कहा कि नौकरी के लिए सीवीसी कानून की धारा तीन में जरूरी सभी योग्यताएं वे रखते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति के समक्ष रखे गये दस्तावेजों की जांच इस तथ्य की रोशनी में प्रासंगिक नहीं होगी कि पद के लिए छांटे गये सभी नाम सरकार के सचिवों के थे. उनके चयन की प्रक्रिया के कारण सचिवों की ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता.
थामस ने कहा, ‘यह माना जाता है कि केन्द्र सरकार के सचिव होने के कारण, जहां वे गृह, विदेश, वित्त तथा कानून एवं विधि मंत्रालयों में काफी संवेदनशील सूचनाओं को जानते हैं, वे न्यायाधिकरणों के अध्यक्ष होने की जिम्मेदारी संभालने के लिए उपयुक्त हैं.’ उन्होंने कहा कि जब पद के लिए सचिवों के तौर पर नामों को विचार के लिए शामिल किया जाता है तो सतर्कता मंजूरी की जरूरत होती है और उसे हासिल किया जाता है.{mospagebreak}
थामस ने कहा कि उनके तथा आईएएस के 1972 एवं 1973 बैच के अन्य अधिकारियों के मामले में सतर्कता मंजूरी मांगी गयी थी.
उन्होंने कहा कि पद के लिए नौ नामों पर विचार किया जाना था. उन्होंने उन नामों का उल्लेख भी किया है जिनपर इस पद पर नियुक्ति के लिए विचार करने की मंजूरी दी गयी थी.
उन्होंने कहा, ‘एक प्रकार से विचार किये जाने वाले प्रत्येक अधिकारी के खिलाफ शिकायतें थीं या आरोपपत्र दायर किये गये थे. लेकिन सीवीसी ने पूरे मामले पर गौर किया कि क्या मंजूरी दी जानी चाहिए या नहीं.’