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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की हसन अली की जमानत

उच्चतम न्यायालय ने पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली को दी गई जमानत खारिज कर दी. अली को धन शोधन से जुड़े मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट
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उच्चतम न्यायालय ने पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली को दी गई जमानत खारिज कर दी. अली को धन शोधन से जुड़े मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी.

न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर की अगुवाई वाली पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर अनुमति दे दी. याचिका में अली को 12 अगस्त को अदालत द्वारा दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी. ईडी और अली के तर्कों को सुनने के बाद पीठ ने कहा, ‘अदालत के आदेश में हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है.’

ईडी द्वारा अदालत के आदेश के खिलाफ न्यायालय में दस्तक दिए जाने के बाद पीठ ने 16 अगस्त को अली की जमानत पर स्थगन दे दिया था. जांच एजेंसी ने तर्क दिया था कि अली दो फर्जी पासपोर्ट रखने का आरोपी है और जमानत देने से उसे देश से भागने में मदद मिलेगी.

ईडी ने यह भी कहा कि सरकार के पास इस बात को साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं कि अली के विदेशों में कई खाते हैं और उसने विदेशों में लगभग 9.3 करोड़ डॉलर का काला धन जमा किया हुआ है.

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एजेंसी ने यह भी कहा कि अली के विदेशी बैंक खातों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कई देशों को पत्र भेजे गए हैं. अली के विदेशी बैंकों से जुड़े लेन-देन से यह भी पता चला है कि उसके हथियारों के अंतरराष्ट्रीय तस्कर अदनान खाशोग्गी से संबंध है. अली ने हालांकि इन आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एजेंसी उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा पाई है.

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