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नोट के बदले वोट घोटालाः आडवाणी के पूर्व सहयोगी कुलकर्णी गिरफ्तार

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को वर्ष 2008 के नोट के बदले वोट घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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सुधींद्र कुलकर्णी
सुधींद्र कुलकर्णी

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को वर्ष 2008 के नोट के बदले वोट घोटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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इस मामले में कुलकर्णी समेत अब तक छह लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है.

विशेष न्यायाधीश संगीत ढींगरा सहगल ने 54 वर्षीय कुलकर्णी की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी और नियमित जमानत की उनकी अर्जी पर सुनवाई के लिए एक अक्तूबर की तारीख तय की. तब तक वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में रहेंगे.

अदालत ने पिछली दो सुनवाई में अमेरिका यात्रा के चलते अदालत में पेश नहीं होने पर कुलकर्णी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद वह न्यायाधीश के समक्ष पेश हुए और अदालत में इस आधार पर अंतरिम जमानत मांगी कि वह भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहते थे.

कुलकर्णी के वकील ने कहा, ‘किसी ऐसे व्यक्ति को अंतरिम जमानत से इंकार का कोई कारण नहीं है जिसकी नियमित जमानत याचिका (अदालत में) लंबित हो और जिसे जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया हो.’ दलीलों के दौरान न्यायाधीश ने केवल कुछ ही आरोपियों की गिरफ्तारी पर अभियोजन पक्ष को आड़े हाथों लिया.

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न्यायाधीश ने कहा, ‘उनके (अभियोजन पक्ष के) पास 2-3 आरोपियों को गिरफ्तार करने और अन्य को छोड़ने की कोई जायज वजह नहीं है.’ दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि कुलकर्णी वर्ष 2008 में संप्रग-1 सरकार के विश्वास मत के दौरान कांग्रेस खेमे में सेंध लगाने में विफल रहे और उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेताओं का रुख किया.

आरोपपत्र के अनुसार अपने मकसद को पूरा करने के लिए कुलकर्णी ने कथित तौर पर सांसदों को रिश्वत देने की साजिश रची और सह.आरोपी सुहैल हिंदुस्तानी को अपना ध्यान सपा नेताओं की ओर लगाने का निर्देश दिया जो लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले भाजपा सांसदों से मिले थे.

उच्चतम न्यायालय ने नोट के बदले वोट मामले में जांच की प्रगति को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी जिसके बाद पुलिस ने 17 जुलाई को मामले में पहली गिरफ्तारी की और संजीव सक्सेना को हिरासत में लिया जिसे राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का करीबी माना जाता है.

तीन दिन बाद सुहैल हिंदुस्तानी को गिरफ्तार किया गया और छह सितंबर को अमर सिंह तथा भाजपा के पूर्व सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते व महावीर सिंह भगोरा को गिरफ्तार किया गया जो अदालत के समन के बाद उसके समक्ष पेश हुए थे. अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया और उन्हें हिरासत में लिया गया.

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अदालत में पेश होने से पहले कुलकर्णी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे खिलाफ आरोप झूठा है और राजनीति से प्रेरित है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरी पूरी भूमिका भ्रष्टाचार को उजागर करने की थी. मेरे सहयोगियों, भाजपा के तीन सांसदों और सुहैल हिंदुस्तानी के साथ मैंने जुलाई 2008 में लोकसभा में तत्कालीन सरकार द्वारा विश्वास मत जीतने के लिहाज से सांसदों की खरीद-फरोख्त को उजागर करने का प्रयास किया था.’

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