मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में लिंगानुपात गिरने की नजीर भिंड में देखने को मिलती है, जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफी कम रह गयी है और इसके चलते उस इलाके के बहुत से युवकों की शादी होना मुश्किल हो गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां एक कार्यक्रम में लैंगिक असंतुलन की यह सच्ची दास्तान बयान की और बेटियों को बचाने की अपील की.
उन्होंने श्वेताम्बर जैन समुदाय के ‘महिला महाकुंभ’ में बताया, ‘भिंड के एक विधायक मेरे पास अपनी परेशानी लेकर आये और समाधान का अनुरोध किया. विधायक ने बताया कि उनके क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवक कुंवारे हैं, क्योंकि वहां विवाह योग्य लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले बहुत कम रह गयी है.’ बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि लिंगानुपात के मामले में भिंड केवल छोटी.सी नजीर है. वर्ष 2011 की जनगणना के अंतरिम आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में छह वर्ष तक के आयु समूह का लिंगानुपात 912 है. वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश में इस आयु वर्ग समूह में 1,000 लड़कों पर 932 लड़कियां थीं यानी गुजरे दस सालों में लिंगानुपात डरावने रूप से 20 अंक घट गया है. जैसा कि मुख्यमंत्री ने खुद बताया कि प्रदेश में गांवों के मुकाबले शहरों में, अनपढ़ों के मुकाबले पढ़े-लिखों में और गरीबों के मुकाबले अमीरों में बेटियों की संख्या बेटों की तुलना में कम है.