लोकपाल ड्राफ्ट को लेकर सरकार की गतिविधियां तेज हो गई हैं. भ्रष्टाचार पर असरदार ढंग से अंकुश लगाने के लिए प्रस्तावित इस कानून के ड्राफ्ट की बारीकियों पर यूपीए सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के बीच एक बैठक केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के नॉर्थ ब्लॉक में मौजूद दफ्तर में बैठक हो रही है. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल, सलमान खुर्शीद और नारायण सामी शामिल हैं.
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक इस बैठक के बाद वरिष्ठ मंत्री प्रधानमंत्री से मुलाकात कर अपनी राय जाहिर करेंगे. इस मुद्दे पर आज कैबिनेट की बैठक भी होगी. सरकार मंगलवार को संसद में लोकपाल बिल मंजूरी के लिए पेश कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार अपने ड्राफ्ट में ऐसा प्रावधान रखने पर विचार कर रही है जिसमें लोकपाल के पास अपनी एक जांच ईकाई होगी जो सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतों की जांच करेगी. इस ईकाई में एक पुलिस अधिकारी होगा जो जनता द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर जांच करेगा. हालांकि, विस्तृत जांच वाले मामलों को लोकपाल सीबीआई को भेजेगा. इसका मतलब यह है कि सीबीआई लोकपाल के दायरे में नहीं होगा लेकिन अन्ना हजारे ने सरकार के ऐसे इरादे का विरोध किया है, जिसमें सीबीआई लोकपाल के दायरे में नहीं होगी. यही वजह है कि अन्ना ने प्रस्तावित लोकपाल ड्राफ्ट को कमजोर बताया है.
अन्ना ने मीडिया में आ रही खबरों के आधार पर यह बात कही है. अन्ना ने कहा है कि अगर सरकार लोकपाल के दायरे में निचली नौकरशाही (ग्रुप सी कर्मी) और सीबीआई को नहीं लाती है तो 27 दिसंबर से उनका अनशन और एक जनवरी से देश भर में जेल भरो आंदोलन शुरू होगा. वहीं, किरण बेदी ने ट्विटर पर टिप्पणी की, लोग सीबीआई को असरदार बनाने की मांग रहे हैं, उसे बंटता हुआ नहीं देखना चाहते हैं.