scorecardresearch
 

‘बाबर के बेटों’ से परिचय कराएंगे सलमान खुर्शीद

केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद हिन्दुस्तान पर मुगलों की 300 वर्षों से अधिक की हुकूमत, देश के प्रति उनके जज्बे तथा विविधतापूर्ण आबादीवाले भारत को एकसूत्र में बांधने में ‘बाबर के बेटों’ के योगदान से लोगों का नये सिरे से परिचय करा रहे हैं.

Advertisement
X

केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद हिन्दुस्तान पर मुगलों की 300 वर्षों से अधिक की हुकूमत, देश के प्रति उनके जज्बे तथा विविधतापूर्ण आबादीवाले भारत को एकसूत्र में बांधने में ‘बाबर के बेटों’ के योगदान से लोगों का नये सिरे से परिचय करा रहे हैं.

दरअसल राजनीति के मंच के माहिर खुर्शीद अपने हाथों कलमबद्ध अंग्रेजी नाटक ‘सन्स ऑफ बाबर’ के उर्दू और हिन्दी अनुवाद पर आधारित ‘बाबर के बेटे’ के माध्यम से अब एक नई भूमिका के साथ थियेटर की दुनिया में कदम रख रहे हैं.

सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह नाटक मूलत: मुगलकाल की समाप्ति तथा सन 1857 एवं उसके बाद अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को रंगून भेजे जाने से जुड़े विभिन्न पहलुओं को छूता है. इसमें अंतिम मुगल सम्राट का दिल्ली के प्रति प्रेमभाव, मयूर सिंहासन (तख्ते ताउस) और मुगलों की शानोशौकत खोने के दर्द को दिखाया गया है.’ उन्होंने कहा कि अंग्रेज हिन्दुस्तान से मुगल साम्राज्य से जुड़ी काफी चीजें ले गए, लेकिन अंतिम मुगल सम्राट की कविताओं और शायरी को नहीं ले जा सके.

नाटक में बाबर से शुरू होती कहानी को हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब से होते हुए बहादुरशाह जफर को केंद्र में रखकर दिखाया गया है. डॉ. जाकिर हुसैन के पोते सलमान खुर्शीद ने इस नाटक के माध्यम से उजबेकिस्तान में अपनी जड़ों को तलाशने का प्रयास किया है, जहां से हिन्दुस्तान आकर बाबर ने यहां मुगल सल्तनत की स्थापना की.

Advertisement
Advertisement