प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को मीडिया की इन खबरों को गलत बताया, जिनमें आरोप लगाया गया है कि एस बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन में सरकार को नुकसान हुआ है. पीएमओ का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया गया है और इसलिए राजस्व के नुकसान के आरोप का कोई आधार नहीं है.
पीएमओ के प्रवक्ता की ओर से एक बयान में कहा गया कि कार्यालय ने मीडिया की इन खबरों को देखा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि अंतरिक्ष (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की व्यावसायिक शाखा) और देवास मल्टीमीडिया प्रा. लिमिटेड के बीच एस बैंड स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के बारे में हुए करार के चलते सरकारी राजस्व को नुकसान हुआ है.
बयान में कहा गया है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के कार्यालय और अंतरिक्ष विभाग ने पहले ही बयान जारी कर इस मामले पर वस्तुस्थिति बताई है. यह स्पष्ट किया जाता है कि अंतरिक्ष या देवास को एस बैंड स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए स्पेस सेगमेंट आवंटित करने के लिए सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है. इसलिए राजस्व के नुकसान का सवाल ही नहीं उठता है और इस तरह की रिपोर्ट वास्तव में बिना आधार की है.
मीडिया की खबरों में कहा गया है कि अंतरिक्ष विभाग ने देवास मल्टीमीडिया को एक हजार करोड़ रुपये में 70 मेगाहर्ट्ज का एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसका वास्तविक मूल्य दो लाख करोड़ रुपये हाने का अनुमान है. विपक्ष ने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर सफाई मांगी है और मामले की जांच कराने और खोये हुए राजस्व को तत्काल वसूल किये जाने की मांग की है.