मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री शशि थरूर के खिलाफ एक निचली अदालत में चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से केरल उच्च न्यायालय ने इंकार कर दिया है. राष्ट्रगान के कथित अपमान के आरोप में उन पर निचली अदालत में मुकदमा चल रहा है.
न्यायमूर्ति एस. एस. सतीशचंद्रन ने बुधवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ थरूर की याचिका खारिज की. उच्च न्यायालय में याचिका खारिज होने के बाद अब मजिस्ट्रेट की अदालत इस मामले में आगे कार्यवाही कर सकती है.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 16 दिसंबर, 2008 के समारोह की सीडी पेश करने के लिए फेडरल बैंक के प्रबंधक को समन जारी करने का थरूर का आग्रह ठुकरा दिया था.
न्यायाधीश ने कहा कि मामले की सुनवाई के प्रारंभिक चरण में आरोपी खुद को निर्दोष सिद्ध करने के लिए दस्तावेज मंगाने के लिए अदालत की सहायता नहीं ले सकता है.
एर्नाकुमलम के मानवाधिकार कार्यकर्ता जॉय कैतारथ की याचिका पर थरूर के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम कानून 1977 की धारा तीन के तहत मामला दर्ज किया गया था.
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 16 दिसम्बर 2008 को कोच्चि में फेडरल बैंक के समारोह में व्याख्यान के बाद राष्ट्रगान को थरूर ने बाधित किया था. शिकायत में कहा गया कि थरूर ने माइक्रोफोन लेकर दर्शकों को निर्देश दिया कि राष्ट्रगान सावधान की मुद्रा गाने की बजाये अमेरिकी शैली में दाहिन हाथ सीने के बायीं तरफ रख कर गाना चाहिए.
मजिस्ट्रेट ने 2009 में इस शिकायत का संज्ञान लिया था. इसके बाद ही थरूर ने अदालत में इसे चुनौती दी थी. बाद में उन्होंने बैंक द्वारा इस समारोह की सीडी पेश करने का निर्देश देने का आग्रह किया था जिसे मजिस्ट्रेट ने ठुकरा दिया था.