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अब विकलांग भी होंगे आरटीई कानून में शामिल

विकलांग बच्चों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के दायरे में लाने वाला विधेयक राज्य सभा में पारित हो गया. बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2010 में विकलांग बच्चों को वंचित समूह में रखने का प्रावधान है और वे इस समूह को मिलने वाले 25 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.

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विकलांग बच्चों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के दायरे में लाने वाला विधेयक राज्य सभा में पारित हो गया. बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2010 में विकलांग बच्चों को वंचित समूह में रखने का प्रावधान है और वे इस समूह को मिलने वाले 25 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.

विधेयक में ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक अवरोध और बहु विकलांगता वाले बच्चों को घर पर रहकर पढ़ाई करने की सुविधा दी गई है.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्य सभा में कहा, 'उन्हें घर में रहकर पढ़ने का अधिकार भी होगा. अभिभावक ऐसे बच्चों को घर पर रखकर पढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं. लेकिन यह सुविधा विद्यालय के लिए ऐसे बच्चों को कक्षा में शामिल नहीं करने का औजार नहीं बनना चाहिए. यह विकल्प सिर्फ अभिभावकों के पास रहना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि संशोधन में धार्मिक संस्थानों का आरटीई कानून के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान भी शामिल किया गया है. भारतीय जनता पार्टी के सदस्य कप्तान सिंह ने समर्थन देते हुए कहा कि संशोधन के बाद यह विधेयक सम्पूर्ण बन गया है.

उन्होंने कहा, 'यह प्रावधान पहले से रहना चाहिए. मेरा मानना है कि यह विधेयक अब पूर्ण हो गया है. इसलिए हम विपक्षी सदस्य इसे समर्थन देते हैं और इसका स्वागत करते हैं.'

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शिक्षा का अधिकार कानून के तहत छह से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य के ऊपर डाली गई है.

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