सीबीआई ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा से अक्तूबर 2007 और 2008 के बीच 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कुछ कंपनियों को कथित तौर पर तरजीह देने को लेकर तीसरी बार पूछताछ की.
पिछले साल 24 दिसंबर और 25 दिसंबर को पूछताछ से गुजरे राजा को सोमवार सुबह सीबीआई कार्यालय बुलाकर नौ घंटे की पूछताछ की गयी. पूछताछ के दौरान द्रमुक सांसद से कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के साथ बातचीत और 2007 में स्पेक्ट्रम आवंटन की तिथि को आगे बढ़ाने संबंधी कारणों के बारे में सवाल किये गये.
सीबीआई के कुछ सवाल पूर्व मंत्री के कुछ परिजनों की कुछ कंपनियों की भूमिका से भी संबंधित थे. सूत्रों ने कहा कि राजा के सामने अक्तूबर 2009 के दौरान दूरसंचार विभाग के कार्यालयों में छापों के दौरान एजेंसी द्वारा बरामद किये गये कुछ दस्तावेज भी पेश किये गये. इससे पहले विभाग और दूरसंचार कंपनियों के अनाम अधिकारियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था.
सीबीआई सूत्रों ने कहा, जहां राजा को घर जाने की अनुमति दी गयी वहीं पूर्व मंत्री को कुछ और सवालों के जवाब देने और दस्तावेजों से रूबरू करने के लिए दोबारा बुलाया जाएगा. इन दस्तावेजों को जांच एजेंसी के छापों के दौरान कंप्यूटरों से जब्त किया गया था. राजा से खासतौर पर स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी परिस्थितियों के बारे में सवाल किये गये जिन्हें लेकर केन्द्रीय सतर्कता आयोग और नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने गंभीर आपत्तियां जतायी हैं. {mospagebreak}
राजा को कैग की रिपोर्ट सामने आने के बाद पिछले साल 14 नवंबर को मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कम दामों पर किये गये स्पेक्ट्रम आवंटन के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा था. राजा ने 18 मई 2007 को दूरसंचार मंत्रालय का कार्यभार संभाला था और 15वीं लोकसभा में पुनर्निर्वाचन के कारण यह विभाग इस्तीफा देने से पहले राजा के पास ही बना रहा.
उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में अपनी जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट 10 फरवरी तक सौंपने का आदेश दिया था जब यह मामला सुनवाई के लिए पेश किया जाना था. सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में सीवीसी के नतीजों के आधार पर कहा था कि सरकार को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. सीवीसी ने ही इस मामले को सीबीआई को सौंपा था.
सीबीआई ने पिछले सप्ताह इस मामले में राडिया से पूछताछ की थी क्योंकि उद्योगपतियों, राजनेताओं और पत्रकारों सहित विभिन्न प्रभावशाली लोगों के साथ लॉबिस्ट की बातचीत सार्वजनिक होने के बाद वह जांच एजेंसी की निगरानी के दायरे में आ गयी थी. सीबीआई ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख और मध्य प्रदेश कैडर के 1966 बैच के अधिकारी प्रदीप बैजल और पूर्व टेलीकाम सचिवों सिद्धार्थ बेहुरा और डी एस माथुर से भी पूछताछ की है.