पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने टू जी स्पेक्ट्रम मामले में उन पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को यह कहते हुए नकार दिया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और केवल अपने पूर्ववर्तियों तथा राजग सरकार की नीतियों का ही अनुसरण किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व पी. चिदंबरम को आवंटन मामले की जानकारी थी.
सीबीआई के विशेष जज ओपी सैनी के समक्ष 47 वर्षीय द्रमुक सांसद ने कहा कि टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी न करने के उनके फैसले में कुछ भी गलत नहीं था, क्योंकि उन्होंने उसी को अमलीजामा पहनाया था जो उन्हें विरासत में मिला.
वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने राजा की ओर से दलील दी कि यदि राजा के खिलाफ किसी नीति का पालन करने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है तो 1993 के बाद से सभी दूरसंचार मंत्रियों के खिलाफ ऐसा ही मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने भी उसी नीति का पालन किया.
अधिवक्ता ने राजा के खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध करते हुए कहा ‘‘यदि मेरे द्वारा अपनाई गई नीति गलत थी तो 1993 के बाद के सभी दूरसंचार मंत्रियों को मेरे (राजा के) साथ जेल में होना चाहिए.’’
उन्होंने कहा ‘‘दूरसंचार मंत्री के तौर पर अरूण शौरी ने 26 लाइसेंस वितरित किए जबकि दयानिधि मारन ने 25 लाइसेंस वितरित किए. मैंने (राजा ने) 122 लाइसेंस वितरित किए. संख्या मायने नहीं रखती लेकिन यह बात गौर की जानी चाहिए कि किसी ने भी स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की थी.’’
राजा ने कहा ‘‘यदि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो फिर मुझसे ही पूछताछ क्यों की जा रही है. वह कह दें कि उन्होंने वह नहीं किया जो मैंने किया. मैं तो 2003 के मंत्रिमंडल के फैसले का पालन कर रहा था जिसमें टू जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की बात नहीं है. यदि मैंने कानून का पालन किया तो मेरे खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए बल्कि मुझे पुरस्कृत किया जाना चाहिए.’’
दूरसंचार मंत्री के तौर पर अपनी नीति का बचाव करते हुए राजा ने कहा कि उनकी नीति की वजह से ही मोबाइल फोन की कॉल दरें कम हुईं और इतनी सस्ती हुईं कि रिक्शावाले तक मोबाइल फोन रख सके.
राजा ने कहा ‘‘यह सामाजिक न्याय की मेरी प्रतिबद्धता थी कि सड़क पर चलने वाले हर आदमी के पास मोबाइल फोन होना चाहिए. मैं जनता का सेवक हूं और मैंने मोबाइल फोन की कॉल दरें इतनी सस्ती कीं कि रिक्शावाले और घरेलू नौकरानी तक को इसका इस्तेमाल करते देखा जा सकता है.’’
टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कथित भूमिका के लिए दो फरवरी को गिरफ्तार किए गए राजा ने अपनी दलीलें पेश कीं और खुद पर लगाए गए धोखाधड़ी, जालसाजी तथा आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों का विरोध किया. जिरह अभी जारी है.
सीबीआई ने राजा तथा तीन दूरसंचार कंपनियों सहित 16 अन्य के खिलाफ आरोपों पर अपनी दलील देने का काम 21 जुलाई से शुरू किया और यह 23 जुलाई को पूरा हो गया. इस मामले में द्रमुक सांसद कनिमोई सहित सभी 14 आरोपी वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं.