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राहुल ने आम आदमी को किया परिभाषित

आम आदमी को परिभाषित करते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि भारत में आम आदमी वह है, जिसका व्यवस्था से संपर्क नहीं है चाहे वो गरीब हो या अमीर, हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हो, शिक्षित हो या अशिक्षित. अगर व्यवस्था से उसका संपर्क नहीं है तो वह आम आदमी है.

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आम आदमी को परिभाषित करते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि भारत में आम आदमी वह है, जिसका व्यवस्था से संपर्क नहीं है चाहे वो गरीब हो या अमीर, हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हो, शिक्षित हो या अशिक्षित. अगर व्यवस्था से उसका संपर्क नहीं है तो वह आम आदमी है.

अपनी इस परिभाषा को आगे बढाते हुए उन्होंने कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन में कहा कि आम आदमी यानी नियमगिरि का वह आदिवासी बालक, जिसे न्याय नहीं मिला और उसे उसकी जमीन से बाहर फेंक दिया गया. आम आदमी झांसी का वह दलित लडका, जिसे अपनी कक्षा में पीछे बैठने को मजबूर किया गया.

उन्होंने कहा कि आम आदमी बेंगलूर का वह युवा प्रोफेशनल, जो अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में दाखिला नहीं करा पाया. आम आदमी, शिलांग में विश्वविद्यालय का वह टापर, जिसे नौकरी इसलिए नहीं मिली क्योंकि उसका किसी से कोई जुगाड नहीं था.

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कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘आम आदमी अलीगढ का वह किसान है, जिसे उसकी भूमि का न्यायोचित मूल्य नहीं मिला. आम आदमी हैदराबाद का वह व्यापारी है, जिसे इसलिए हाशिये पर रख दिया गया क्योंकि उसके संपर्क नहीं थे. आम आदमी विदर्भ की वह विधवा है, जो अपने परिवार में हुई त्रासदी के कारण खाने की मोहताज है.’

उन्होंने कहा, ‘आम आदमी वह नौकरशाह है, जिसका प्रोफेशनल भविष्य इसलिए खतरे में है क्योंकि उसने समझौता करने से इंकार कर दिया. आम आदमी वह श्रमिक है, जिसने अपने खून पसीने से महानगर बसाये लेकिन उसे उसका श्रेय नहीं मिला. आम आदमी बस्ती का वह बढई है, जो मुंबई के स्लम में रहता है और जिसे शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाये.’

राहुल ने कहा कि हम इन्हें आम आदमी कहते हैं लेकिन सच्चाई में ये अनूठे हैं क्योंकि इनमें गजब की क्षमताएं हैं, समझदारी और शक्ति है. वह अपने जीवन में हर रोज देश का निर्माण करता है और फिर भी हमारी व्यवस्था हर कदम पर उसे कुचल देती है.

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