राहुल गांधी के बारे में कहा जाता है कि उनकी सियासत सबसे जुदा है. बगैर किसी शोर-शराबे के वो बड़ा से बड़ा काम खामोशी कर जाते हैं. ऐसा ही कुछ झांसी में देखने को मिला. किसानों ने जब उनसे सरकारी खाद गोदाम में कालाबाजारी की शिकायत की तो राहुल मऊरानीपुर तहसील में खाद गोदाम पर छापा मारने पहुंच गए.
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झांसी के मऊरानीपुर तहसील की नवीन मंडी स्थित पीसीएफ का खाद गोदाम में सुबह धूप में बाहर महिलाओं और किसानों की लंबी भीड़ लगी थी. लगातार खाद के लिए परेशान किसानों की सुनने वाला कोई नहीं था. तभी किसानों की भीड़ के बीच सामने आ जाते हैं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी.
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राहुल अकेले नहीं थे. उनके साथ केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन आदित्य और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी भी थीं.
राहुल को देखते ही किसानों की भीड़ उन्हें घेर लेती है. किसान राहुल को अपना दुखड़ा सुनाने लगते हैं कि किस तरह खाद बांटने में भारी धांधली हो रही है. किस तरह गोदाम का प्रभारी खाद देने में मनमानी करता है.
राहुल बड़े ध्यान से किसानों की समस्या सुनते हैं. किसान उन्हें खाद बांटने में चल रही धांधली का कच्चा चिट्ठा सौंपते हैं और राहुल बड़े गौर से उसे देखते हैं.
काफी देर तक राहुल किसानों की समस्या सुनते हैं और फिर शिकायत दूर करने का भरोसा देकर आगे बढ़ जाते हैं. दरअसल, मऊरानीपुर में खाद बांटने में हो रही धांधली की शिकाकत एक रोज पहले ही किसानों ने राहुल से की थी.
फोटोः युवाओं के स्टाइल आइकॉन हैं राहुल गांधी
सोमवार शाम मऊरानीपुर तहसील के मेढ़की गांव में राहुल की चौपाल लगी थी. किसानों ने उन्हें बताया कि सरकारी गोदाम से उन्हें उचित दाम पर खाद नहीं मिलता और उन्हें ब्लैक में खाद खरीदने पर मजबूर किया जाता है. किसानों की शिकायत सुनने के बाद ही राहुल ने तय कर लिया था कि वो इस धांधली को रंगे हाथों पकड़ेंगे.
लिहाजा अगली सुबह वो पहुंच गए मऊरानीपुर के गोदाम में. कहा जाता है कि राहुल के आने की खबर लगते ही गोदाम का इंचार्ज ताला डालकर भाग निकला.
ये पहला मौका नहीं है जब राहुल ने इस तरह छापामार कार्रवाई की हो. कुछ साल पहले बुंदेलखंड के किसानों की समस्या सुनने के बाद वो बगैर किसी पूर्व सूचना के अचानक कमिश्नर के दफ्तर पर किसानों के साथ पहुंच गए थे.
फोटोः राजनीति में रमते जा रहे 'युवराज'
यही नहीं, कुछ महीना पहले राहुल इसी तरह भट्टा परसौल गांव भी पहुंचे थे, जहां सरकार की जमीन अधिग्रहण नीति के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा था.
हाल ही में वो दंगा पीड़ितों की समस्या सुनने अचानक राजस्थान में भरतपुर के गोपालगंढ़ गांव पहुंचे थे.
इस तरह की कार्रवाई अगर राहुल का अपना सियासी अंदाज है तो हाल के दिनों में य़े उनकी मजबूरी बन गई है. क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन से पिछले कुछ समय से राहुल की चमक थोड़ी फीकी पड़ गई थी.
ऐसे में अन्ना की काट के लिए जरूरी है कि राहुल खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई मोर्चा खोलें. राहुल की इस ताजा छापामार कार्रवाई को उनकी अन्नागीरी से जोड़कर देखा जा रहा है.