ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार लोकतंत्र की बहाली और राज्य में निवेश अनुकूल वातावरण बनाने के अपने चुनावी वादों को पूरा न कर पाने के लिए व्यापक आलोचनाओं का सामना कर रही है. सरकार ने हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य को पार्टी का एक कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी थी, जिसे लेकर उसकी व्यापक तौर पर आलोचना हुई थी. अब उद्योग जगत की एक संस्था ने कहा है कि राज्य का निवेश वातावरण चिंताजनक है.
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, 'पिछले तीन वर्षों के दौरान बंगाल में निवेश के प्रस्ताव नौ लाख करोड़ रुपये से घटकर 5.84 लाख करोड़ रुपये पर आ गए. उद्योगपति इस बात को लेकर आशंकित हैं कि टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के साथ जो घटा, वह उनके साथ न घटे.'
16 महीने के कार्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने बार-बार दावा किया है कि निवेश प्रस्तावों के साथ बड़े-बड़े उद्योगपति राइटर्स बिल्डिंग में लाइन लगाए हुए हैं. लेकिन उद्योगपति पश्चिम बंगाल सरकार की औद्योगिक नीति को लेकर आशंकित बने हुए हैं, क्योंकि सरकार का रुख विशेष आर्थिक जोन (सेज) के खिलाफ है और निजी कम्पनियों के लिए भूमि अधिग्रहण में कोई भूमिका न निभाने की उसकी नीति है.
रावत ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने 2008 में नैनो परियोजना को पश्चिम बंगाल से भगाकर गुजरात भेजने के लिए जिस तरह से विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दिया, उद्योगपतियों की आशंकाएं वहीं से पैदा हुई हैं. लेकिन सरकार एसोचैम के तर्क से सहमत नहीं है.
राज्य के खेल मंत्री मदन मित्रा ने कहा, 'यदि उन्हें (उद्योगपतियों को) कुछ कहना है तो वे हमसे बात कर सकते हैं. मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि वे एक साल बाद बंगाल में आएं और फिर राज्य के उद्योग पर टिप्पणी करें.'
सरकार की व्यापक आलोचना इस बात को लेकर भी हुई है कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो सदस्य बुद्धदेब भट्टाचार्य को कानून-व्यवस्था का हवाला देकर हुगली में बंद कमरे में पार्टी की एक बैठक करने की अनुमति नहीं दी.