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बटला हाउस मुठभेड़ की बरसी पर दिल्ली में प्रदर्शन

बटला हाउस मुठभेड़ की तीसरी बरसी पर घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर कई संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सतर्कता बढ़ा दी गई.

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बटला हाउस मुठभेड़ की तीसरी बरसी पर घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर कई संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सतर्कता बढ़ा दी गई. इस मुठभेड़ में कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन के तीन आतंकवादी मारे गए थे.

पिछले साल जामा मस्जिद के बाहर इसी दिन किए गए आतंकवादी हमले में दो ताइवानी नागरिकों के घायल होने के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई. जामा मस्जिद के बाहर पिछले साल किया गया हमला कथित तौर पर साल 2008 में हुई बटला हाउस मुठभेड़ का बदला लेने के लिए किया गया था.

बटला हाउस मुठभेड़ राष्ट्रीय राजधानी में सितंबर 2008 में तीन सिलसिलेवार धमाकों के एक हफ्ते बाद हुई थी. इस साल भी बटला हाउस मुठभेड़ की बरसी से महज 12 दिन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर विस्फोट हुआ. इसमें एक महिला समेत 15 लोग मारे गए थे और 70 से अधिक लोग घायल हुए थे.

जहां लोगों के एक समूह ने दक्षिण दिल्ली स्थित बटला हाउस से जंतर मंतर तक एक मार्च निकाला वहीं जंतर मंतर पर मौजूद राष्ट्रीय उलेमा काउन्सिल के कार्यकर्ताओं ने घटना की ‘स्वतंत्र न्यायिक जांच’ कराने की मांग की. काउन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रशदी मदनी ने दावा किया कि बटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए दो युवक आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद निर्दोष थे.

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मदनी ने कहा, ‘बटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से स्वतंत्र जांच कराई जानी चाहिए और जो भी दोषी पाया जाता है उसे निश्चित तौर पर दंडित किया जाना चाहिए.’ मदनी ने कहा कि मुठभेड़ में जिन परिस्थितियों में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा मारे गए थे उसकी भी जांच की जानी चाहिए.

मदनी ने आरोप लगाया, ‘हम पिछले तीन वर्षों से इस मामले की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस नीत सरकार जो मुस्लिमों की शुभेच्छु होने का गलत दावा करती है वो हमारी बात नहीं सुन रही है.’

मदनी ने कहा, ‘मालेगांव बम विस्फोट मामले में कथित संलिप्तता के लिए कई मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया लेकिन अब यह बात प्रकाश में आई है कि वे बिल्कुल निर्दोष हैं. अब उनके गुजरे हुए वर्षों की कौन भरपाई करने जा रहा है.’ एक अधिकारी ने बताया कि खतरे की संभावना के मद्देनजर 20 हजार से अधिक सशस्त्र कर्मियों को पूरे शहर में तैनात किया गया है जो लोगों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और तलाशी ले रहे हैं. सभी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘दशहरा तक हमें हाई अलर्ट पर रहना है. हम अतिरिक्त तलाशी लेंगे. लोगों को असुविधा हो सकती है लेकिन हमें अलर्ट रहना है.’ अधिकारी ने कहा कि वाहनों, संदिग्ध लोगों और राष्ट्रीय राजधानी में परिसरों की तलाशी ली जा रही है.

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दिल्ली पुलिस ने यातायात पुलिस और असैनिक रक्षा कर्मियों को भी मोटरसाइकिल सवारों, डीटीसी बसों की जांच करने के काम में लगाया गया है और वे भीड़भाड़ वाली जगहों पर निगरानी रख रहे हैं. पिछले साल आज के ही दिन दो लोगों ने जामा मस्जिद के बाहर गोलीबारी की थी जिसमें दो ताइवानी नागरिक मारे गए थे जबकि दो घंटे बाद कार में रखा विस्फोटक उपकरण फटने से उसमें आग लग गई थी. यह हमला दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से महज एक पखवाड़े पहले किया गया था.

इंडियन मुजाहिदीन ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. उसने दावा किया था कि यह बटला हाउस मुठभेड़ का बदला लेने के लिए किया गया. उस हमले में कथित तौर पर संगठन के तीन सदस्य मारे गए थे. उधर, प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के जौनपुर से आए 40 वर्षीय व्यापारी मोहम्मद अफजल ने कहा कि वह खासतौर पर प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘सभी पार्टियां धार्मिक आधार पर हमें बांट रही हैं. वोट बैंक की राजनीति अब खत्म होनी चाहिए.’ उलेमा काउन्सिल ने यह भी मांग की कि विगत दस वर्षों में हुई प्रत्येक आतंकवादी घटना की विशेष आयोग द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए. इस आयोग में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होने चाहिए. बटला हाउस मुठभेड़ के खिलाफ कल कार्यकर्ताओं का एक समूह राजघाट पर एक दिन के लिए भूख हड़ताल पर बैठा था.

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