गोधरा कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी से पुर्नविचार करने को कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस केस से जुड़ी अंतिम रिपोर्ट को 25 अप्रैल तक पेश करने को कहा है. इस केस की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.
उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल से इस बात पर विचार करने को कहा कि क्या गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में जीवित जलाये गये कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी की शिकायत पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 52 अन्य के खिलाफ आगे जांच जरूरी है.
न्यायमूर्ति डीके जैन, न्यायमूर्ति पी. सताशिवम और न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने पूर्व सीबीआई निदेशक आरके राघवन की अगुवाई वाले विशेष जांच दल से उसकी रिपोर्ट पर वरिष्ठ वकील तथा न्यायमित्र राजू रामचंद्रन की टिप्पणियों की पड़ताल करने और आगे की जांच करने पर उचित फैसला लेने के लिए कहा. पीठ ने कहा, ‘एसआईटी के अनुमान और साक्ष्य इसके नतीजों से मेल नहीं खाते.’ {mospagebreak}
पीठ ने एसआईटी से कहा कि मामले में आगे जांच की जाए या नहीं इस बारे में 25 अप्रैल तक रिपोर्ट जमा करें. शीर्ष न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अप्रैल की तारीख तय की और गुजरात सरकार की अंतरिम अर्जी को भी सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई जिसमें एसआईटी को मोदी तथा 52 अन्य के खिलाफ शिकायत में निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत के 27 अप्रैल 2007 के पूर्ववर्ती आदेश पर विचार करने की मांग की गयी.
एसआईटी ने मई 2010 में जाकिया जाफरी की शिकायत में जांच पर उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी थी. जाकिया ने मोदी, शीर्ष राजनेताओं, नौकरशाओं और पुलिस अधिकारियों पर गोधरा के बाद दंगे भड़काने का आरोप लगाया था. जिसमें से एक मामले में उनके पति को भी भीड़ ने जिंदा जला दिया था. जाकिया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों ने पीड़ितों का संरक्षण करने के बजाया भीड़ को भड़काया.