तारीख 3 फ़रवरी, वक़्त रात के डेढ़ बजे, जगह रोहिणी पुलिस स्टेशन. अचानक पुलिस कंट्रोल रूम की घंटी बजती है. फोन उठाते ही दूसरी तरफ से आवाज़ आती है: 'मैंने अपनी बीवी और बच्चे का कत्ल कर दिया है, आप आ जाइए.'
पुलिस कुछ समझ पाती उससे पहले ही वो अपने घर का पता भी बता देता है. मकान नंबर 112, पॉकेट 11, सेक्टर 22, रोहिणी और इसके बाद फोन कट जाता है. फोन करने वाला फोन काटने के कुछ सेकेंड बाद फिर एक नंबर डायल करता है. नंबर दक्षिणी दिल्ली के भोगल इलाके का था और फोन उसने अपने ससुराल में किया था. दूसरी तरफ फोन उठाते ही वो फिर कहता है: 'मैंने श्वेता और गर्व को मार दिया है, आप आ जाइए.' इतना कहते ही वो फोन काट देता है. उधर फोन रखते ही ससुराल वाले सन्न रह जाते हैं पर फिर उन्हें लगता है कि शायद उनका दामाद नितिन मज़ाक कर रहा है. लिहाज़ा वो पलट कर उसी वक्त अपने दामाद को फोन करते हैं और कहते हैं कि इतनी रात इस तरह का मज़ाक अच्छी बात नहीं है. दूसरी तरफ से फिर वही आवाज़ आती है: 'मैं मज़ाक नहीं कर रहा, मैंने सचमुच दोनों को मार दिया है, आप आ जाइए.' इसके बाद फोन कट जाता है.
फोन पर खबर मिलते ही पुलिस फौरन बताए हुए पते पर पहुंचती है. दरवाज़ा खुलते ही पुलिस नितिन के बारे में पूछती है. तमाम घर वाले तब गहरी नींद में थे, उन्हें कुछ भी पता नहीं था. वो बस इतना जानते थे कि नितिन अपनी बीवी श्वेता और चार साल के बेटे गर्व के साथ अपने कमरे में सो रहा है. पुलिस सीधे नितिन के कमरे में जाती है, दरवाज़ा अंदर से बंद था. काफी पीटने और आवाज़ देने पर भी दरवाजा नहीं खुलता. लिहाज़ा मजबूरन पुलिस दरवाजा तोड़ने का फैसला करती है और फिर किसी तरह कुंडी तोड़ कर दरवाजा खोल देती है.
अंदर अजब मंज़र था, नितिन बेड पर बैठा था और उसी बेड पर उसके बराबर में दो लोग सो रहे थे, श्वेता और गर्व दोनों रज़ाई के अंदर थे. पुलिस और घरवालों को देखते ही नितिन पहली बार मुंह खोलता है. नितिन कहता है कि मैंने अपनी बीवी और बेटे को मार दिया है, पर इन्हें ठंड ना लग जाए इसलिए इनपर रजाई डाल दी है. अब जहां मुझे ले जाना है ले चलिए. इसके बाद पुलिस जैसे ही रज़ाई हटाती है नितिन की सच्चाई सामने आ जाती है. सामने सचमुच श्वेता और गर्व की लाश पड़ी थी, दोनों को गला घोंट कर मारा गया था.
कातिल, कातिल का इकरारनामा और दो-दो लाशें पुलिस के सामने थीं. केस आइने की तरह साफ था, पर फिर तभी जैसे ही पुलिस नितिन को गौर से देखती है चौंक उठती है. जो शख्स पिछले छह साल से अपने पैरों पर खड़े होना तो दूर बगैर किसी का सहारा लिए उठकर बैठ भी नहीं सकता हो, वो भला दो-दो कत्ल कैसे कर सकता है?
नितिन ने पहले पुलिस को और फिर अपने ससुराल फोन कर अपनी बीवी और बेटे के कत्ल की बात कबूली थी. कैमेरे को देखकर नितिन अपना चेहरा कंबल में छुपा रहा है, दरअसल नितिन चल नहीं सकता. छह साल पहले हुए एक सड़क हादसे में कमर से नीचे का उसका पूरा हिस्सा बेकार हो गया. तब से वो व्हील चेयर पर था और इसीलिए गिरफ्तारी के बाद भी पुलिसवाले उसे गोद में उठा कर ले जा रहे हैं.
अब सवाल ये है कि क्या ऐसी हालत में नितिन अपने हाथों से दो-दो खून कर सकता है? क्या श्वेता इतनी आसानी से उसके काबू में आ सकती थी? क्या श्वेता ने खुद को बचाने की कोशिश नहीं की होगी? और क्या घरवालों को कमरे से कोई भी आवाज सुनाई नहीं दी? इन्हीं सवालों के साथ पुलिस ने जब मामले की तफ्तीश शुरू की तो पता चला कि गुरूवार रात तक घर में सब कुछ ठीक था. बल्कि गुरूवार रात तो घर में जश्न का माहौल था. दो फरवरी को नितिन और श्वेता की शादी की छठी सालगिरह थी. इस मौके पर घर में पार्टी रखी गई थी, पार्टी में नितिन और श्वेता के घरवाले भी शरीक हुए थे. इसके बाद करीब आधी रात से पहले पार्टी खत्म हुई और सभी अपने-अपने कमरे में सोने चले गए.
नितिन भी श्वेता और गर्व के साथ अपने कमरे में सो रहा था, गर्व को सुबह स्कूल जाना था. चूंकि नितिन चल-फिर नहीं सकता था लिहाजा श्वेता ने कमरे की कुंडी अंदर से खुद बंद की होगी. घरवालों की मानें तो पूरी पार्टी और पार्टी के बाद एक पल को भी ऐसा नहीं लगा कि नितिन गुस्से में या परेशान है, वो सबसे हंस कर बातें कर रहा था.
पर कमरे के अंदर जाने के घंटे भऱ बाद ही आखिर ऐसा क्या हो गया जो उसने अपने हाथों से अपनी बीवी और बेटे को मार डाला? आखिर सालगिरह की पार्टी के बाद देर रात ऐसा क्या हुआ कि नितिन ने अपने ही हाथों से अपनी बीवी और बेटे को मार डाला? और फिर खुद ही पुलिस और ससुराल वालों को फोन कर कत्ल की जानकारी भी दी?
तो शुरुआती तफ्तीश के बाद पुलिस भी फिलहाल यही मान कर चल रही है कि दोनों कत्ल नितिन ने ही किए हैं. दरअसल जिस कमरे में कत्ल हुआ उस कमरे के दरवाजे की कुंडी अंदर की तरफ से बंद थी. कमरे में नितिन, श्वेता औऱ गर्व के अलावा और कोई नहीं था. यहां तक कि खुद नितिन भी अंदर से कुंडी नहीं खोल सकता था. पुलिस के मुताबिक जब नितिन को देर रात गिरफ्तार किया गया तब उसने शराब पी रखी थी, वो नशे में था. यानी उसने दोनों कत्ल नशे में किए, पर उसने कत्ल किया क्यों?
पुलिस के मुताबिक नितिन और श्वेता ने लव मैरिज की थी और दोनों शादी के बाद भी बेहद खुश थे. पर व्हील चेयर पर आने के बाद से ही नितिन चिड़चिड़ा हो गया था, श्वेता का नौकरी पर जाना उसे अखरने लगा. उसे श्वेता को लेकर शक होने लगा था, शायद उसे कहीं ना कहीं ये डर भी सताने लगा था कि कहीं श्वेता अपाहिज समझ कर से छोड़ ना दे और इसीलिए उसने मां-बेटे को मार डाला.
पर खुद श्वेता के घर वालों का कुछ और ही कहना है. इस दोहरे कत्ल को लेकर उनकी अपनी कहानी है और इस कहानी में नितिन के घरवाले भी शामिल हैं. दोहरे क़त्ल की इस दर्दनाक कहानी के कई पहलू हैरान करने वाले हैं. नितिन और श्वेता की शादी उनकी अपनी मर्ज़ी से हुई थी. दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, नितिन के घरवालों का कहना है कि श्वेता के घरवाले इस रिश्ते को पसंद नहीं करते थे. लेकिन शादी के बाद रिश्ते बेहतर हो चले थे, तभी हुआ हादसा और नितिन व्हील चेयर पर आ गया. नितिन के घरवाले बताते हैं कि हादसे के बाद श्वेता के घरवाले, उसकी शादी नितिन के भाई से करवाना चाहते थे.
लाचार और बेरोज़गार नितिन व्हील चेयर से उठकर खड़ा भी नहीं हो सकता था. घर का ख़र्च नितिन के दो भाइयों की कमाई पर चलता था. इस दौरान नितिन की पत्नी श्वेता एक एनजीओ में नौकरी करने लक्ष्मी नगर जाने लगी लेकिन नितिन को हरगिज़ नहीं पसंद था कि उसकी बीवी नौकरी करे.
अब एक और अहम बात... श्वेता के घरवाले इस हत्याकांड में नितिन के भाइयों पर भी शक जता रहे हैं. दरअसल, हादसे के एवज़ में नितिन को 21 लाख रुपए का मुआवज़ा मिला था. नितिन ने अपनी बीवी और बच्चे को नॉमिनी बनाया था, तो क्या इस बात से इस दोहरे क़त्ल का कोई नाता है? पुलिस तमाम पहलुओं पर गौर कर रही है.