पटना हाई कोर्ट ने लागत राशि में वृद्धि के कारण यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की शाखा के बनने में हो रहे विलंब पर जवाब मांगा है.
काउंसिल आफ प्रोटेक्शन आफ पब्लिक राइट्स द्वारा इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश पी सी वर्मा और न्यायाधीश आदित्य कुमार त्रिवेदी की खंडपीठ ने पटना में एम्स की शाखा का निर्माण करा रहे मेसर्स नागाजरुन, मेसर्स डी एल काश्यन एंड सन्स, मेसर्स आरडीबी और मेसर्स एक्सएलएल कंपनियों से पूछा है कि एम्स के निर्माण कार्य में हो रही देरी के लिए उनपर क्यों नहीं जुर्माना लगाया जाए.
एम्स की इस शाखा के निर्माण में हो रही देरी का कारण उसका लागत मूल्य 332 करोड़ रुपये से बढकर 850 करोड़ रुपये हो जाना बताया जा रहा है.
अदालत ने एम्स की इस शाखा के निर्माण में जुडी कंपनियों को इस मामले की अगली सुनावई के लिए तय की गयी तारीख आगामी 14 मार्च तक अपना जवाब देने को कहा है.