संसद का मानसून सत्र सरकार के लिए हंगामे की सौगात लेकर आ रहा है. दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद विपक्ष ने साफ़ संकेत दे दिए हैं कि उसके तरकश में तीरों की कमी नही हैं. डर है कि कहीं यह सत्र भी, पिछले सत्र की तरह हंगामे में डूब ना जाए.
संसद का पूरा बजट सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था. सोमवार से मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है और विपक्ष के पास मुद्दे पहले से कहीं ज़्यादा हैं. भ्रष्टाचार, महंगाई, आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा से लेकर नक्सलवाद, तेलंगाना विवाद, एयर इंडिया की दुर्दशा और भूमि अधिग्रहण पर ज़ोर पकड़ चुका किसानों का आंदोलन सदन में छाए रहने की संभावना है.
कुल मिलाकर इस सत्र में सरकार 35 बिल पास कराने की कोशिश करेगी और 32 नए बिल संसद के सामने रखे जाएंगे. इनमें सबसे अहम है लोकपाल बिल. इसके अलावा खाद्य सुरक्षा बिल, खनन और खनिज विकास से संबंधित बिल, बेनामी संपत्ति बिल, विदेशी कॉलेजों और शिक्षण संस्थाओं को नियंत्रित करने वाला बिल भी उस लिस्ट में शामिल है, जिन्हें सरकार संसद में पास पास कराने की कोशिश करेगी.
परंपरा के मुताबिक रविवार को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाई जिसमें प्रधानमंत्री ने भी हिस्सा लिया. मनमोहन सिंह ने कहा, हम भ्रष्टाचार के मुद्दों पर बहस से पीछे नहीं हटेंगे. विपक्ष पर भी भ्रष्टाचार के कई मामले हैं. विपक्ष जो भी मुद्दा उठाए, हमें बहस से कोई डर नहीं है.
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