विपक्ष के नेता चौधरी निसार अली खान ने कहा है कि पाकिस्तान को भारत से सबक सीखना चाहिए जहां सेना प्रमुख कैंटीनों के कामकाज को लेकर संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष पेश हुए हैं.
पीएमएल एन पार्टी के वरिष्ठ नेता खान ने कहा, ‘हमें भारत के उदाहरण से सबक सीखना चाहिए जहां समन किए जाने पर सेना प्रमुख लोक लेखा समिति के समक्ष हाजिर होते हैं. हालांकि मामला राशन के संबंध में एक मामूली आरोप को लेकर था.’
खान ने गुरुवार को पाकिस्तानी संसद की लोक लेखा समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात की. वह रक्षा मंत्रालय की लेखा रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे थे जो रक्षा हाउसिंग सोसायटी से संबंधित थी.
बैठक में रक्षा मंत्रालय की टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) अतहर अली को अनियमितताओं के कुछ मामलों में जवाबदेही तय नहीं किए जाने तथा पीएसी द्वारा तय प्रदर्शन लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहने को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा. {mospagebreak}
खान ने कहा, ‘यदि आप यह कहते हैं कि मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थान आपके नियंत्रण में नहीं हैं तो सरकार से कहिए कि आपका विकल्प खोजें.’ उन्होंने सवाल किया कि सशस्त्र बलों के 98 फीसदी कर्मचारी अनुशासित हैं तो ऐसे में उच्च स्तर पर पारदर्शिता का अभाव क्यों है. खान ने कहा कि जिन तानाशाहों ने पाकिस्तानी सेना को अपनी ‘निजी सेना या माफिया’ की तरह इस्तेमाल किया वही सशस्त्र बलों की बदनामी के लिए जिम्मेदार हैं.
उन्होंने कहा कि जब भी देश में सैन्य शासक रहे हैं, हमेशा गड़बड़ियां हुई हैं. खान ने सशस्त्र बलों की गलतियों के लिए परवेज मुशर्रफ जैसे तानाशाहों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे मोड़ पर पहुंच गए हैं जहां पीएसी गलत कामों का हिसाब मांगेगी.’
लेखाकारों ने कहा है कि मुशहाफ वायुसेना अड्डे पर कृषि भूमि से पेड़ों और घास की कटाई से मिले धन को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया. पीएसी ने कराची में डिफेंस हाउसिंग अथारिटी पर बकाया दस करोड़ 90 लाख रुपये के कर की उगाही नहीं किए जाने पर भी आपत्ति जतायी. गौरतलब है कि भारतीय सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह इस माह के शुरूआत में संसद की पीएसी के समक्ष पेश हुए थे और मुद्दा सैनिकों को खराब गुणवत्ता का राशन मुहैया कराने से था.