उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने प्रदेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में जिला एवं राष्ट्रीय मार्गों के निर्माण के लिये स्वीकृत धन को पार्कों तथा स्मारकों पर खर्च किये जाने का आरोप लगाते हुए पिछले पांच सालों में हुए निर्माण कार्यो की जांच की जरूरत पर बल दिया.
यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सदस्य टी. राम द्वारा लाये गये कटौती प्रस्ताव पर कहा कि बांदा, बलिया, बरेली और इलाहाबाद जैसे स्थानों पर निर्माण कार्य के लिये सम्भावित लागत से चार गुना धन खर्च किया गया. इसके अलावा कई मामलों में तो काम पूरा हुए बिना ही भुगतान कर दिया गया. इसकी गहराई से जांच होनी चाहिये.
लोक निर्माण विभाग का 7,194 करोड़ रुपए का बजट पेश करते हुए यादव ने धांधलियों में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का इरादा जताया और प्रदेश की सड़कों को जल्द से जल्द गड्ढामुक्त करवाने का आश्वासन दिया.
प्रदेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि लखनऊ में 22 किलोमीटर की रिंग रोड के निर्माण पर 300 करोड़ रुपए खर्च किये गये मगर वह सड़क फिर भी अधूरी ही रही. इसके अलावा तीन जिलों में सड़क निर्माण पर 10 हजार करोड़ रुपए व्यय हुए लेकिन वे मार्ग सही मानक के अनुरूप नहीं हैं.
भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह ने प्रदेश की जनता के साथ छल करने और उसकी गाढ़ी कमाई के दुरुपयोग की तरफ इशारा करते संदिग्ध कार्यों की जांच कराने का आग्रह किया, जबकि उन्हीं की पार्टी के सदस्य राधा मोहन दास अग्रवाल ने सड़क निर्माण से सम्बन्धित कार्यों को लेकर जारी हत्याओं के सिलसिले को रोकने की जरूरत पर जोर दिया.