गांधीवादी अन्ना हजारे की ओर से अनशन स्थल को लेकर प्रधानमंत्री से दखल देने की मांग के जवाब में मनमोहन सिंह ने साफ शब्दों ने कहा है कि अन्ना को इस चिंता के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क करना चाहिए.
अन्ना के पत्र के जवाब में देर रात प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी चिंताओं से वैधानिक अधिकारियों को निपटना चाहिए जो इस पर फैसला कर चुके हैं.
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सिंह ने कहा कि मेरा कार्यालय इस मामले में फैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं है. उन्होंने अन्ना से कहा है कि आपके प्रदर्शन को लेकर शर्तों पर फैसला उन संबंद्ध वैधानिक अधिकारियों द्वारा लिया गया है जो सभी परिस्थितियों और दूसरे कारकों को ध्यान में रखते हैं. इससे आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी भारत के संविधान को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इसे पूरी निष्ठा से बरकरार रखेंगे.
हज़ारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि संविधान में साफ लिखा है कि शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होकर और निहत्थे विरोध प्रदर्शन करना हमारा मौलिक अधिकार है. क्या आप और आपकी सरकार हमारे मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर रहे हैं. क्या आप स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले हमारी आजादी हमसे नहीं छीन रहे हैं. मैं सोच रहा हूं कि 65वें स्वतंत्रता दिवस पर आप क्या मुंह लेकर लाल किले पर ध्वज फहरायेंगे.
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उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मैं यह पत्र आपको इस उम्मीद के साथ लिख रहा हूं कि आप हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करेंगे. क्या भारत का प्रधानमंत्री दिल्ली में अनशन के लिये हमें कोई जगह दिला सकता है? आज यह सवाल मैं आपसे कर रहा हूं. आपकी उम्र 79 साल है. देश के सर्वोच्च पद पर आप आसीन है. जिंदगी ने आपको सब कुछ दिया. अब आपको जिंदगी से और क्या चाहिये. हिम्मत कीजिये और कुछ ठोस कदम उठाइये.
संवाददाता सम्मेलन में लोकपाल विधेयक संयुक्त मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने कहा कि हमें अनशन को तीन दिन में ही खत्म कर देने और अनशन स्थल पर चार से पांच हजार से अधिक लोगों को नहीं जुटाने की शर्त को छोड़कर अधिकतर शर्तें स्वीकार हैं लेकिन असंवैधानिक शर्तों के लिये कोई हलफनामा नहीं दिया जायेगा.
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उन्होंने कहा कि राजनीतिक जनसभाओं में तो लाखों लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति दे दी जाती है लेकिन क्या आम नागरिकों को इसका अधिकार नहीं रह गया है.
हज़ारे ने कहा कि इससे पहले नौ अप्रैल को उन्होंने अनशन इसलिये तोड़ा था क्योंकि उन्हें सरकार पर वादे पूरे करने का विश्वास था. अब उन्हें विश्वास नहीं रह गया है. हम डेढ़ महीने से भटक रहे हैं, लेकिन हमें अनशन की अनुमति नहीं मिल रही है.
हज़ारे के साथी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हीं की ‘बलि’ लेने और प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की भाषा उनकी नहीं होने के सवालों पर गांधीवादी ने कहा कि मेरे साथी मेरी नहीं, भ्रष्ट सरकार की बलि ले रहे हैं. जहां तक पत्र का सवाल है तो हम सब मिलकर उसे तैयार करते हैं. मैं पढ़ा-लिखा हूं. मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किये हैं. केजरीवाल ने कहा कि हमें उन शर्तों के लिये हलफनामा देने में कोई हर्ज नहीं हैं जो जायज हैं. अगर फिर भी हमें अनशन की अनुमति नहीं मिलती है तो हम गिरफ्तारी देने और जेल भरने के लिये तैयार हैं.
उधर, किरण बेदी ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस के हज़ारे पक्ष को लिखे गये पत्र की भाषा बताती है कि उसे पुलिस ने नहीं लिखा है, बल्कि किसी और ने उसका मसौदा तैयार किया है.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस काफी पेशेवर है और उसे 15 अगस्त तथा 26 जनवरी के समारोहों के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने का अनुभव प्राप्त है. दिल्ली पुलिस से यह पत्र लिखवाया गया है.
क्या बाबा रामदेव को प्रस्तावित अनशन में शामिल होने का न्यौता दिया गया है, इस पर केजरीवाल ने कहा कि 16 अगस्त से कोई शादी नहीं होने जा रही है जो हम किसी को निमंत्रण दें. अगर वह आना चाहें तो आ सकते हैं.
दिल्ली पुलिस ने जयप्रकाश नारायण पार्क पर अनशन की अनुमति के लिये जो शर्तें दी हैं, उनमें कहा गया है कि अनशन 18 अगस्त की शाम छह बजे तक खत्म करना होगा. अनशन के दौरान किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा. वहां सिर्फ चार-पांच हजार लोगों के जुटने की इजाजत होगी, भड़काउ भाषण नहीं दिये जायेंगे और वहां आने वाले लोगों के पीने की पानी की व्यवस्था करनी होगी.
पुलिस ने यह भी शर्त रखी है कि वहां लोगों को लाठी या शस्त्र लाने की इजाजत नहीं होगी, वे रात को लाउड स्पीकर नहीं चला सकेंगे और पार्क के आसपास 50 कारों और 50 दुपहिया वाहनों को ही खड़ा करने की अनुमति दी जायेगी.