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विकीलीक्‍स पर ध्‍यान देना खतरनाक, असली चुनौतियों की हो चर्चा: पीएम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में दोहराया कि 2008 में विश्वास मत हासिल करने के दौरान कांग्रेस या सरकार के किसी भी व्यक्ति ने कोई गैर कानूनी रास्ता नहीं अपनाया था और न ही उनकी सरकार ने ऐसा करने के लिए किसी को अधिकृत किया था.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में दोहराया कि 2008 में विश्वास मत हासिल करने के दौरान कांग्रेस या सरकार के किसी भी व्यक्ति ने कोई गैर कानूनी रास्ता नहीं अपनाया था और न ही उनकी सरकार ने ऐसा करने के लिए किसी को अधिकृत किया था.

लोकसभा में वोट के बदले नोट विषय के बारे में प्रधानमंत्री द्वारा 18 मार्च को सदन में की गयी कथित गलतबयानी पर विपक्ष की मांग पर नियम-193 के तहत हुई चर्चा का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, ‘गैर कानूनी जरिया अपनाने में कांग्रेस या मेरी सरकार का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था और न ही मैंने किसी को ऐसा करने के लिए अधिकृत किया था.’

समिति के निष्कर्षों’ के बारे में कथित गलतबयानी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करने वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट को रखते हुए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा था कि रिपोर्ट से यह कतई साबित नहीं होता कि लोकसभा में धन के बैग लेकर आने वाले सांसदों को जिन कथित व्यक्तियों की ओर से धन दिये जाने की बात कही गयी थी, दरअसल उन्हीं ने वह धन मुहैया कराया था. ‘मैंने वही कहा है, जो सोमनाथ ने उस समय कहा था.’ {mospagebreak}

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आम तौर पर मृदुभाषी सिंह ने कड़े तेवर अपनाते हुए कहा कि वह अपने राजनीतिक जीवन में वित्त मंत्री के समय से ही विपक्षी हमले का निशाना बनते रहे हैं. उन्होंने सदन में मौजूद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को निशाना बनाते हुए कहा, ‘आडवाणी जी को विश्वास था कि प्रधानमंत्री बनना उनका जन्मसिद्ध अधिकार था. उनहोंने मुझे इस बात के लिए कभी माफ नहीं किया कि मैं प्रधानमंत्री हूं.’ बाद में सिंह ने यही बयान राज्यसभा में भी दिया.

सत्ता पक्ष की मेजों की थपथपाहट के बीच उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘आडवाणी जी स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हुए चुनावों में देश की जनता ने हमें जनादेश दिया है. अब आप साढ़े तीन साल और इंतजार कीजिए.’ चर्चा के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज द्वारा एक शेर के जरिए उन पर किये गये हमले पर उन्होंने शेर के जरिए ही पलटवार किया.

सुषमा ने सुबह कहा था, ‘तू इधर उधर की न बात कर, ये बता के कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों (लुटेरे) से गिला नहीं, तेरी रहबरी (नेतृत्व) का सवाल है.’ सिंह ने जवाबी शेर पढा, ‘माना के तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो देख.’ इस पर सत्ता पक्ष ने देर तक मेजें थपथपाकर प्रधानमंत्री की वाहवाही की, वहीं विपक्ष खामोख बैठा रहा. {mospagebreak}

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प्रधानमंत्री ने सोमनाथ के हवाले से कहा कि समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि धन के बैग लेकर सदन में आने वाले तीन सांसदों की भूमिका की जांच करने की जरूरत है. समिति ने यह भी कहा था कि सुधीन्द्र कुलकर्णी सहित जिन तीन व्यक्तियों के इस मामले में शामिल होने का जिक्र है, उसके बारे में किसी सक्षम एजेंसी से आगे जांच करायी जाए.

सिंह ने कहा कि मामला दिल्ली पुलिस के हवाले किया गया और अभी आगे जांच जारी है. ‘अब सदन तय करे कि क्या रिपोर्ट में कहीं भी ऐसी कोई बात कही गयी है, जिस तरह के बेबुनियाद आरोप विपक्षी सदस्य लगा रहे हैं.’ उन्होंने दोहराया कि किसी देश के भारत स्थित दूतावास और उस देश के प्रशासन के बीच हुई बातचीत की विषयवस्तु की प्रामाणिकता की पुष्टि करना भारत सरकार के लिए संभव नहीं है. किसी संप्रभु देश और उसके दूतावास के बीच हुई बातचीत की हम जांच भी नहीं कर सकते.

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