पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब ने दावा किया कि वह लश्कर ए तैयबा द्वारा पाकिस्तान में रची गयी 26/11 हमलों की साजिश में शामिल नहीं था. उसने दलील दी कि मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज इकबालिया बयान और निचली अदालत में उसके द्वारा गुनाह कबूल किये जाने को अस्वीकार कर दिया जाये, क्योंकि दोनों एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं.
कसाब के वकील अमीन सोलकर ने बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आर वी. मोरे के समक्ष यह दलील दी. उच्च न्यायालय कसाब को 26/11 हमलों में उसकी भूमिका के लिये उसे सुनायी गयी मौत की सजा की पुष्टि के मामले की सुनवाई कर रहा है.
बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि यह संकेत देती कोई सामग्री नहीं है कि कसाब होटल ताज महल, होटल ओबेरॉय-ट्राइडेंट और नरीमन हाउस पर हमले की साजिश का हिस्सा था. उसकी भूमिका महज छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनस और कामा अस्पताल तथा आसपास के क्षेत्रों में हमले करने तक ही सीमित थी.{mospagebreak}
सोलकर ने दलील दी कि ज्यादा से ज्यादा यही कहा जा सकता है कि कसाब ने सुपारी लेकर हत्या करने की भूमिका अदा की थी और उसे सीएसटी तथा आसपास के क्षेत्रों में लोगों की जान लेने के लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
बचाव पक्ष के वकील की दलीलों का मूल मकसद षड्यंत्र में कसाब की भूमिका को कम कर बताना और उसे सुनायी गयी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कराने पर जोर देना था.