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मैंने कभी कविता में हाथ नहीं आजमाए: तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर के पिता कवि थे और बड़े भाई भी कवि हैं लेकिन इस स्टार बल्लेबाज का मानना है कि वह कलम का नहीं बल्कि बल्ले का सिपाही बनने के लिये ही पैदा हुआ हूं.

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सचिन तेंदुलकर के पिता कवि थे और बड़े भाई भी कवि हैं लेकिन इस स्टार बल्लेबाज का मानना है कि वह कलम का नहीं बल्कि बल्ले का सिपाही बनने के लिये ही पैदा हुआ हूं.

तेंदुलकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैंने अब तक इसमें (लेखन) हाथ नहीं आजमाये. मेरा मानना है कि ईश्वर ने प्रत्येक को अलग तरह की प्रतिभा दी होती है. आपके पास जो प्रतिभा है आपको उसमें खुश होना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि मैं इस स्तर का कुछ सृजन कर सकता हूं. मैं केवल इसकी तारीफ कर सकता हूं.’

तेंदुलकर के बड़े भाई नितिन तेंदुलकर ने इससे पहले कहा था कि उन्होंने सचिन के लिये अपनी क्रिकेट का बलिदान दिया इसलिए उन्होंने कविता चुनी. तेंदुलकर ने इस संदर्भ में कहा, ‘जैसे कि मेरे भाई ने पहले कहा कि उन्होंने मेरे लिये क्रिकेट छोड़ी तो मैं भी उनके लिये कुछ छोड़ रहा हूं.’

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इस स्टार बल्लेबाज ने यह जानकारी देने के लिये संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया था कि उनके स्वर्गीय पिता रमेश तेंदुलकर की लिखी कविताओं की सीडी और उनके भाई नितिन के कविता संग्रह का अगले सप्ताह विमोचन किया जाएगा.{mospagebreak}

तेंदुलकर से जब पूछा गया कि क्या वह आत्मकथा लिखने के बारे में सोच रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा. इस बारे में सोचने के लिये कभी समय ही नहीं मिला. हो सकता है कि किसी दिन मुझे ऐसा लगे.’

तेंदुलकर को इस साल ‘भारत रत्न’ का दावेदार माना जा रहा है. इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देश का सर्वोच्च सम्मान हासिल करना प्रत्येक भारतीय का सपना होता है. उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक भारतीय देश से सम्मानित होना चाहता है. यह सबसे बड़ा सपना होता है कि कब आपके योगदान को सराहा जाए. लेकिन हम यहां किसी खास वजह से इकट्ठा हुए हैं इसलिए मैं इस विषय पर अधिक बात करना चाहूंगा.’

टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक शतक बनाने वाले तेंदुलकर ने याद किया कि उन्होंने किस तरह से अपने पिता के जन्मदिन के एक दिन बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में अपना 50वां शतक जड़ा था. तेंदुलकर ने कहा, ‘जब मैंने 50वां शतक जड़ा था तो मेरे दिमाग में पहला विचार यही आया कि काश मेरे पिताजी जीवित होते.{mospagebreak}

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मैंने 19 दिसंबर को शतक बनाया और मेरे पिताजी का जन्मदिन 18 दिसंबर को पड़ता है. मैं उनके लिये यह शतक बनाना चाहता था और मैं इसमें सफल रहा.’ उन्होंने कहा, ‘जब मैंने शतक पूरा किया तो ईश्वर का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने मुझे इतने अधिक अवसर प्रदान किये.’

इस 37 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि उन्होंने अपने पिताजी से कई बातें सीखी और अपने बच्चों को भी वह सदचरित्र बनने की शिक्षा देंगे. उन्होंने कहा, ‘यदि व्यक्ति का चरित्र अच्छा है तो उसे सभी लोग पसंद करेंगे. क्रिकेट में आप अच्छा प्रदर्शन करते हो या नहीं यह अलग चीज है और आपका स्वभाव अलग.’

तेंदुलकर ने कहा, ‘मेरे पिताजी ने मुझे सलाह दी थी कि आपका चरित्र हमेशा आपके साथ रहता है. यदि आप सद्चरित्र वाले व्यक्ति बन सकते हो तो यह हमेशा आपके साथ रहेगा और आप रन बनाओ या नहीं आपके आसपास के लोग आपको पसंद करेंगे. मैं अपने बच्चों को भी यह सीख देना चाहूंगा.’

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