बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज से दिल्ली में शुरू हो रही है. लेकिन इससे पहले ही बीजेपी की अंदरूनी कलह खुलने लगी है और इसे हवा मिली है नरेंद्र मोदी के उस फैसले से जिसमें नवरात्र के बहाने वो बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं.
दिल्ली के जंतर-मंतर के पास बने कन्वेंशन सेंटर में बीजेपी की दो दिनों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू होगी. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिरकत करने के लिए बीजेपी के तमाम आला नेता आएंगे, लेकिन नहीं होंगे तो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी.
हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि नवरात्र की वजह से मोदी दिल्ली नहीं आ रहे लेकिन अटकलें हैं कि मोदी का ना आना वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके मनमुटाव से जुड़ा हुआ है.
खबरें हैं कि मोदी नहीं चाहते कि आडवाणी रथयात्रा कर पीएम की दावेदारी का झंडा फिर गाड़ें. लेकिन, आडवाणी ने गुजरात की बजाय बिहार से रथयात्रा शुरू करने का एलान कर दिया. यही नहीं, इसके लिए उन्होंने नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी और एनडीए के बड़े नेता नीतीश कुमार को भी मना लिया.
साफ है सद्भावना उपवास से पीएम पद की दावेदारी मजबूत करने की कोशिश करने वाले मोदी को आडवाणी का ये कदम रास नहीं आया. हालांकि, पार्टी नेता बार-बार सफाई दे रहे हैं कि आडवाणी की रथयात्रा पीएम पद की दावेदारी के लिए नहीं है. वैसे आडवाणी को संघ ने भी यही राय दी थी कि वो अब पीएम पद का मोह त्याग दें.
लेकिन पार्टी में ऐसे लोग जो मोदी के खिलाफ है आडवाणी के जिद के पीछे बताए जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक यही वजह है कि मोदी ने बीजेपी कार्यकारिणी में आने से मना कर दिया.
खबरों के मुताबिक बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यूपीए सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की रणनीति तैयार होगी. महंगाई के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने का प्रस्ताव पास किया जाएगा. कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों का जायजा लिया जाएगा.
लेकिन, इसी बैठक में बीजेपी के तमाम नेता इस बात पर भी मंथन करेंगे कि आडवाणी की जनचेतना यात्रा को सफल कैसे बनाया जाए. अब भला, नरेंद्र मोदी को ये कैसे मंजूर होता.