पूर्वोतर के राज्यों के एक करोड़ 65 लाख प्री-पेड मोबाइल धारकों में से करीब 80 फीसदी का कनेक्शन कभी भी कट सकता है.
दरअसल, पुन:सत्यापन प्रक्रिया के तहत प्री-पेड मोबाइल धारकों को जो दस्तावेज मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को मुहैया कराने थे, उसकी अवधि कल समाप्त होने वाली है. लेकिन अभी तक 80 फीसदी लोगों ने इस बाबत दस्तावेज जमा नहीं कराए हैं.
एक अग्रणी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि पुन:सत्यापन की प्रक्रिया निर्धारित 31 दिसंबर तक लगभग पूरी कर ली गई थी लेकिन दूरसंचार मंत्रालय से मिले ताजा निर्देश में जम्मू कश्मीर के समान ही दस्तावेजों की स्वीकार्यता के संबंध में कुछ नए दिशा निर्देश दिए गए हैं.
सेवा प्रदाता की ओर से किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि पुन:सत्यापन की कल अंतिम तिथि होने के बावजूद बहुत कम लोगों ने आवश्यक दस्तावेज मुहैया कराए हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार आवश्यक दस्तावेजों में ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, शस्त्र लाइसेंस, फोटोयुक्त एवं पता के साथ डाकघर या बैंक की पासबुक शामिल है. ग्रामीण इलाकों में इनमें से अधिकतर दस्तावेजों को प्रस्तुत करना मुश्किल है. मतदाता पहचान पत्र भी वर्ष 2008 के बाद से जारी नहीं किया गया है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि छात्रों के लिए अनिवार्य दस्तावेजों में सरकारी शैक्षिक संस्थानों के प्रमाणपत्र शामिल है, जबकि अधिकतर छात्र निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा मौजूदा श्रमशक्ति के बल पर पुन:सत्यापन की प्रक्रिया एक बड़ा काम है. इतना ही नहीं ग्राहकों को पुन:सत्यापन के ताजा दिशा निर्देशों के बारे में समझाना भी काफी मुश्किल है.
ऐसे में दूरसंचार विभाग से इस काम के लिए अतिरिक्त छह महीने का समय देने की सिफारिश की गई है. अगर ऐसा नहीं होता है तो दस्तावेजों के अभाव में कई मोबाइल धारकों का कनेक्शन कट सकता है.