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देखें क्या है मायावती के 700 करोड़ के पार्क में

नोएडा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री मायावती जिस पार्क का उद्घाटन करने वाली हैं, वो जनता की गाढ़ी कमाई के 700 करोड़ रुपये खर्च करके बनाया गया है. चलिए बताते हैं इस पार्क की क्या है खासियत...

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700 करोड़ का पार्क
700 करोड़ का पार्क

नोएडा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री मायावती जिस पार्क का उद्घाटन करने वाली हैं, वो जनता की गाढ़ी कमाई के 700 करोड़ रुपये खर्च करके बनाया गया है.

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जनता की गाढ़ी कमाई के 700 करोड़ रुपये का बना है ये पार्क नोएडा में है और लोगों के खून-पसीने की कमाई पार्क में लगाने के बाद अब इस दलित प्रेरणा स्थल को जनता के लिए खोला जाएगा.

इसी महीने की 14 तारीख को सूबे की मुखिया मायावती पार्क का उद्घाटन करने वाली हैं.

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जनता की जेब से निकले अरबों रुपयों से इस पार्क को राजा के महल जैसा सजाया गया है..बाहर से ही पार्क की शानो-शौकत का अंदाजा हो जाता है. लेकिन भीतर जाने पर दिखाई देती है पार्क की असली शान.

दलित प्रेरणा स्थल नाम का पार्क साढ़े 82 एकड़ में बना है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि नोएडा में इतनी जमीन की कीमत क्या होगी. पार्क को चारों तरफ से गुलाबी पत्थरों से सजाया गया है.

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पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर से मंगाया गया है. पार्क में भीतर मार्बल भी लगाए गए हैं. इतने से ही समझा जा सकता है कि पार्क में कितना रुपया लगा होगा.

पार्क में 40 मीटर ऊंचा एक बड़ा गुंबद है. जिसमें 3 छोटे गुंबद हैं. पहले गुंबद में भीमराव अंबेडकर की पूरी जीवनी दीवारों पर शब्दों और चित्रों के जरिए उकेरी गई है. तो दूसरे में मायावती की जीवन और सियासी यात्रा की कहानी है. जबकि तीसरे गुंबद में कांशीराम का जीवन परिचय है.

यही नहीं, जनता की गाढ़ी कमाई से बने इस पार्क में बहुत कुछ खास है.

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पार्क में दलित समाज के नेताओं और संतों की कुल 15 मूर्तियां लगी हैं. ज्यादातर मूर्तियां कांसे की बनी हैं. मेन गुंबद में भी 3 मूर्तियां 20 फीट की लगाई गई हैं. गुंबद के दोनों तरफ हाथियों की ऊंची-ऊंची 20 मूर्तियां लगाईं गईं हैं. 52 फीट ऊंचे दो फव्वारे भी लगाए गए हैं. जो कांसे से बने हैं.

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सूबे की मुखिया मायावती के सपनों का पार्क तैयार है. इंतजार है अब इस पार्क का जनता के लिए खुलने का. लेकिन सवाल ये है कि 700 करोड़ रुपये एक पार्क में लगाने की जगह, अगर जनता के विकास में लगाए गए होते तो सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी का जुगाड़ हो सकता था.

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700 करोड़ का पार्क सुनने में जितना अच्छा लगता है दिखने में जितनी शानो-शौकत है. उतना ही बड़ा सवाल ये है कि 700 करोड़ रुपये एक पार्क पर खर्च कर देना, क्या जायज है.

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