पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि माओवादी नेता किशनजी और उसके साथियों को मुठभेड़ से पहले आत्मसमर्पण के लिए तीन दिनों का समय दिया गया था. ममता ने कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान कहा, ‘किशनजी के नेतृत्व वाले माओवादियों को तीन दिनों का समय दिया गया था कि वे समर्पण कर दें, लेकिन उन्होंने संयुक्त बलों का यह आह्वान नहीं सुना.’
उन्होंने कहा, ‘किशनजी के नेतृत्व में माओवादियों ने एक हजार राउंड गोलियां चलाई. संयुक्त बलों के पास सैकड़ों निर्दोष ग्रामीणों की जिंदगी बचाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था.’
मुख्यमंत्री ने लोगों से सवाल किया, ‘आप उस सरकार को बर्दाश्त करेंगे जो माओवादी हमले के बाद शांत रहेगी?’
ममता ने कहा कि सरकार ने इस घटना की जांच का आदेश दिया है. मानवाधिकारों को लेकर इस घटना की आड़ में सरकार की आलोचना कर रहे लोगों पर भी ममता ने निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोगों का मानवाधिकार कहां चला जाता है, जब माओवादी निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं.’ उधर, ममता की सहयोगी पार्टी एसयूसीआई ने मांग की है कि किशनजी मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए.
एसयूसीआई ने एक बयान जारी कर कहा, ‘सिविल सोसायटी और कई मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि किशनजी की हत्या की गई है. राज्य के लोग भी हकीकत जानना चाहते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री को एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करनी चाहिए.’