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समय आने पर प्रधानमंत्री को बुलाएंगे: जोशी

विपक्ष और सरकार के बीच जारी गतिरोध में आये एक नये मोड़ के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को संसद की लोक लेखा समिति को पत्र लिखकर यह पेशकश की कि वह 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर उसके समक्ष पेश होने को तैयार हैं, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने यह पेशकश स्वीकार करने की संभावना से इनकार नहीं किया है.

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विपक्ष और सरकार के बीच जारी गतिरोध में आये एक नये मोड़ के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को संसद की लोक लेखा समिति को पत्र लिखकर यह पेशकश की कि वह 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर उसके समक्ष पेश होने को तैयार हैं, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली इस समिति ने यह पेशकश स्वीकार करने की संभावना से इनकार नहीं किया है.

मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह कांग्रेस के महाधिवेशन के समय यह सार्वजनिक घोषणा की थी कि वह पीएसी के समक्ष पेश होने को तैयार हैं. अपनी इस पेशकश को आगे बढ़ाते हुए सिंह ने पीएसी अध्यक्ष जोशी को पत्र लिखकर कहा कि अगर समिति प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण मांगने का फैसला करती है तो वह पीएसी के समक्ष पेश होने को तैयार हैं. सिंह ने कहा कि हालांकि उनका मानना है कि प्रधानमंत्री के पीएसी के समक्ष पेश होने का कोई पूर्व उदाहरण नहीं रहा है.

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भाजपा के वरिष्ठ नेता जोशी इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग से ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आ रहे. वह प्रधानमंत्री की पेशकश को स्वीकार करने के प्रति अनिच्छुक प्रतीत नहीं हुए.अगर पीएसी इस पेशकश को स्वीकार कर लेती है तो ऐसा पहली बार होगा जब कोई प्रधानमंत्री इस समिति के समक्ष पेश होगा. सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के दोनों सदनों के सदस्य इस समिति के सदस्य हैं.{mospagebreak}

इस 22 सदस्यीय पीएसी में 10 सांसद कांग्रेस और द्रमुक के हैं. वहीं, अन्य सदस्य अन्य दलों से हैं जिनमें सपा और बसपा के सदस्य भी शामिल हैं. कहा जाता है कि आज की बैठक में कांग्रेस के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि पीएसी को प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उन्हें ‘सलाह-मशविरे’ के लिये बुला लेना चाहिये. लेकिन माना जाता है कि यशवंत सिन्हा (भाजपा) और एनके सिंह (जदयू) जैसे गैर-संप्रग सदस्यों ने नियमावली का हवाला देते हुए दावा किया कि नियम इस बात की इजाजत नहीं देते कि प्रधानमंत्री को समिति के समक्ष पेश होने को कहा जाये.

जोशी ने पीएसी की जांच को आगे बढ़ाते हुए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय से 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में उनके विचार जाने. उन्‍होंने कहा, ‘पीएसी को किसी मंत्री को तलब करने का कोई अधिकार नहीं है. लेकिन यह मामला अलग है क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री ने खुद ही पेश होने की पेशकश की है. यह मामला समन करने का नहीं है.’

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जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह पेशकश स्वेच्छा से की है. उन्हें अब तक तलब नहीं किया गया है. उनकी इस पेशकश को स्वीकार करने के बारे में समिति उचित समय पर उचित फैसला करेगी. इस संबंध में एक नियमावली है जिसका अध्ययन किया जायेगा. सिंह ने अपने पत्र में कहा कि वह यह पत्र इस हालिया दुष्प्रचार के मद्देनजर लिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री एक संसदीय समिति के समक्ष पेश होने के इच्छुक नहीं हैं.{mospagebreak}

लोकसभा नियमावली की नियम संख्या 99 के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश के अंतर्गत पीएएसी या प्राक्कलन समिति किसी मंत्री को नहीं बुला सकती. बहरहाल, समिति के अध्यक्ष किसी मंत्री से अनौपचारिक बातचीत कर सकते हैं. संसद के सूत्रों का कहना है कि करीब 40 वर्ष पहले केंद्रीय मंत्री सी. सुब्रमण्यम से पीएसी के समक्ष पेश होने को कहा गया था. इसके बाद नियमों में संशोधन कर यह अनिवार्य कर दिया गया कि किसी संसदीय समिति के समक्ष हाजिर होने के लिये किसी मंत्री को बुलाने से पहले लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी लेना जरूरी होगा.

अगर पीएसी प्रधानमंत्री की पेशकश को स्वीकार कर लेती है तो समिति प्रमुख को प्रधानमंत्री को बुलाने से पहले लोकसभा अध्यक्ष से सलाह-मशविरा करना पड़ सकता है. जोशी स्पेक्ट्रम आवंटन पर पीएसी की जांच को आगे बढ़ाने के मूड में नजर आ रहे हैं. बहरहाल, उन्होंने इन बातों का खंडन किया कि पीएसी जांच को ‘तेजी से आगे बढ़ा रही है.’

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उन्होंने कहा, ‘हम कोई जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं. हम तय कार्यक्रम के मुताबिक काम कर रहे हैं.’ जेपीसी की मांग पर जोशी ने कहा कि सरकार क्या कर सकती है और क्या नहीं, इस पर पीएसी टिप्पणी नहीं कर सकती.मुरली मनोहर जोशी ने स्पेक्ट्रम आवंटन पर अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय के विचार जाने.{mospagebreak}

जोशी ने जेपीसी के मुद्दे के संबंध में भाजपा की अगुवाई वाले विपक्ष की रणनीति या सरकार के रुख पर कोई टिप्पणी करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया और कहा, ‘पीएसी अपना काम कर रही है. विपक्ष क्या कहता है और सरकार क्या नजरिया रखती है, इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है.’

एक सवाल के जवाब में जोशी ने कहा कि हम कैग की रिपोर्ट से बंधे नहीं हैं. अगर जरूरत पड़ी तो पीएसी कैग की रिपोर्ट से इतर जाकर भी अपनी जांच का दायरा बढ़ा सकती है. उन्होंने बताया कि समिति फिलहाल वर्ष 2003 से लेकर 2010 तक की अवधि में 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी नीतियों के कार्यान्वयन की जांच कर रही है और इस जांच में केवल 2009-10 का ही ऑडिट शामिल है. लेकिन उन्होंने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि अगर जांच के दौरान समिति महसूस करती है तो वर्ष 2001 से लेकर अब तक की अवधि को भी छानबीन के दायरे में लाया जा सकता है.

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गौरतलब है कि वर्ष 2001 में केंद्र में भाजपा नीत राजग की सरकार थी. जोशी ने कहा कि पीएसी संसद की मंजूरी से सरकार के विभागों को दी जाने वाली धनराशि के व्यय की पड़ताल करती है. पीएसी यह देखती है कि नीतिगत निर्णयों पर अमल ठीक तरह से हुआ है या नहीं. नीति कैसे बनी है, इसकी पड़ताल करना पीएसी के कामकाज के दायरे में नहीं है.

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