सबसे बड़ा परमाणु ख़तरा झेल रहा जापान अब एक और मुसीबत का सामना कर रहा है. बर्फ़बारी की वजह से कई इलाकों में तापमान 6 से लेकर शून्य डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है. परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक ठंडे मौसम में रेडिएशन फ़ैलने की रफ़्तार और बढ़ जाती है.
मुसीबतों का सामना करते जापान में मौसम बेहद ठंडा हो गया है. मौसम के बदले तेवर ने राहत अभियान के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. दूसरी तरफ़ रेडिएशन के घातक हमले से पड़ोसी मुल्कों में दहशत फ़ैल गई है.
बर्फ़ की वजह से राहतकर्मियों को राहत और बचाव के काम में ख़ासी मुश्किल पेश आ रही है. फुकुशिमा प्लांट से उठता सफ़ेद धुआं पूरी दुनिया को डरा रहा है. भारत में भी लोगों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. हालांकि सरकार ने भरोसा दिलाया है रेडिएशन का ख़तरा भारत पहुंचने की आशंका न के बराबर है.
रेडिएशन का दायरा रूस के व्लादिवोस्टोक शहर तक पहुंच गया है. रूस का ये शहर फुकुशिमा एटमी प्लांट से करीब 800 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में है. टोक्यो से नई दिल्ली की दूरी 5800 किलोमीटर से ज्यादा है. माना जा रहा है कि फुकुशिमा से निकलने वाला रेडिएशन ज्यादा से ज्यादा एक हजार किलोमीटर तक असर करेगा.{mospagebreak}
इस मसले पर वैज्ञानिकों की राय दूसरी ही है. भारतीयों के लिए चिंता की वजह है. उनके मुताबिक फुकुशिमा में हुआ धमाका हिरोशिमा, नागासाकी में परमाणु बम विस्फोट से 1000 गुना ज्यादा ताकतवर है. इसके बावजूद भारत पर खतरा कम ही है.
दरअसल दुनिया के सामने इससे पहले इतना बड़ा परमाणु खतरा कभी आया ही नहीं है. यही वजह है कि वैज्ञानिक भी दावे से नहीं कह पा रहे कि रेडिएशन की ये सुनामी कितने बड़े इलाके को बर्बाद कर जाएगा.