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देश में बाघों की संख्या में 12 फीसदी बढ़ोत्तरी

देश में महज 1,411 बाघ शेष रह जाने के चिंतित कर देने वाले आंकड़ों से उबरते हुए अब नई गणना में बाघों की संख्या 1,706 पायी गयी है. खतरे में पड़ी इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या में बीते चार वर्ष में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है.

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देश में महज 1,411 बाघ शेष रह जाने के चिंतित कर देने वाले आंकड़ों से उबरते हुए अब नई गणना में बाघों की संख्या 1,706 पायी गयी है. खतरे में पड़ी इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या में बीते चार वर्ष में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है.

बाघ गणना-2010 को विश्व का अब तक का सबसे व्यापक और अत्याधुनिक-वैज्ञानिक तरीके से हुआ आकलन करार देते हुए पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने कहा, ‘बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बीते चार वर्ष में देश भर में अच्छा काम हुआ है. इसी के नतीजतन अब देश में बाघों की औसत संख्या 1,706 है.’ ताजा गणना के अनुसार, देश में अब 1,571 से 1,875 के बीच बाघ हैं. इसका औसत अनुमानित आंकड़ा 1,706 लिया गया है.

बाघों की पिछली गणना वर्ष 2006 में हुई थी. उसमें खुलासा हुआ था कि देश में महज 1,411 बाघ ही शेष रह गये हैं. ताजा गणना में सुंदरबन को पहली बार शामिल किया गया है. रमेश ने अंतरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में ये आंकड़े जारी करते हुए कहा, ‘बाघों की संख्या में बीते चार वर्ष में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. यह एक अच्छा संकेत है.’ {mospagebreak}

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लेकिन उन्होंने आगाह किया, ‘देश में बाघ संरक्षित गलियारों के समक्ष गंभीर खतरा मौजूद है. बाघों की संख्या संरक्षित क्षेत्रों में कम हुई है. बाघों के पर्यावास वाले क्षेत्रफल में कमी देखी गयी है. कुल अनुमानित संख्या में से 30 फीसदी बाघ 39 संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रह रहे हैं. बाघों को खनन माफिया और भू-माफिया से खतरा है. कोयला खनन और सिंचाई परियोजनाएं भी बाघों के संरक्षण के लिहाज से प्रतिकूल हैं.’

पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा नौ करोड़ रुपये की लागत से 39 बाघ संरक्षित क्षेत्रों में यह गणना की गयी. इसमें 4,76,000 वन कर्मियों ने भाग लिया. गणना के अनुसार, शिवालिक-गंगा के मैदानी इलाकों में 353, मध्य भारत तथा पूर्वी घाट में 601, पश्चिमी घाटों में 534, पूर्वोत्तरी पर्वतीय क्षेत्र तथा ब्रह्मपुत्र के बाढ़ प्रभावित मैदानी इलाकों में 148 और सुंदरबन में 70 बाघ हैं. {mospagebreak}

उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाड़ु और कर्नाटक में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. खासकर, महाराष्ट्र और तराई के क्षेत्रों में बाघों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है. मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हालांकि बाघ कम हो गये हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल-उत्तर बंगाल और केरल में बाघों की संख्या स्थिर है.

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वृद्धि के लिहाज से पश्चिमी घाट आगे हैं. वहां पिछली गणना में बाघों की संख्या 412 पायी गयी थी जो अब बढ़कर 534 हो गयी है. होशंगाबाद, बैतूल, नर्मदा नदी के उत्तरी घाट और कान्हा कीसली में बाघों की संख्या में काफी गिरावट पायी गयी है. रमेश ने कहा, ‘देश को नौ फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर चाहिये. इसमें कोई विवाद नहीं है. लेकिन खासकर बाघों के मद्देनजर बात करें तो हमें पर्यावरण और विकास के बीच सटीक संतुलन रखना होगा.’ {mospagebreak}

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चिंता की बात यह है कि रणथंभोर, कॉरबेट और सरिस्का संरक्षित क्षेत्र से बाहर भी बाघ विचरण कर रहे हैं. इससे बाघ और मानव के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है. बाघों का संरक्षण आने वाले वर्षों में हमारे लिये बड़ी चुनौती होगी क्योंकि देश पर जनसांख्यिकी और विकास के लिहाज से दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में बाघ संरक्षित क्षेत्रों पर हमेशा खतरा मंडराता रहेगा.

रमेश ने कहा कि कैमरा ट्रेपिंग के जरिये इस बार बाघों की 38 फीसदी संख्या का पता लगाया गया. कैमरे के जरिये ऐसे 1,615 बाघों की तस्वीरें कैद की गयीं, जिनकी उम्र डेढ़ वर्ष से अधिक है. पिछली गणना में समीक्षा के लिये हर एक बाघ की 500 तस्वीरें ली गयी थीं, इस बार विश्लेषण के लिये गणना में शामिल 38 फीसदी बाघों में से प्रत्येक की 615 तस्वीरें ली गयी हैं. {mospagebreak}

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उन्होंने कहा कि एक और उत्साहजनक बात है कि जिन राज्यों ने बाघों के लिये ‘बफर जोन’ घोषित किये हैं, वहां बाघों की संख्या में अच्छा इजाफा देखा गया है. रमेश ने उम्मीद जतायी कि योजना आयोग अनुपूरक बजट में बाघ संरक्षित क्षेत्रों के लिये आवंटन बढ़ायेगा. हमें 50,000 परिवारों का बाघ संरक्षित क्षेत्रों के भीतर से अन्यत्र पुनर्वास करना है. कोष के अभाव में अब तक महज तीन हजार परिवारों का ही पुनर्वास हो पाया है.

बाघ गणना का नेतृत्व करने वाले भारतीय वन्यजीव संस्थान के यदुवीर झाला ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की संख्या में कमी देखी गयी है. पिछली गणना के मुताबिक बाघ 93,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विचरण करते थे. अब यह क्षेत्र सिकुड़कर 72,800 वर्ग किलोमीटर हो गया है.

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