भारत के सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने कहा है कि भारत का कोई ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत नहीं, है जैसा कि गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों में दावा किया गया है. उन्होंने भारतीय सेना के ‘धीमा और बेकार’ होने की अमेरिकी धारणा को भी खारिज किया.
विकीलीक्स के खुलासे में किए गए अमेरिकी दस्तावेजों में अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर ने भारतीय सेना के पाकिस्तान के खिलाफ रवैये का विश्लेषण किया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंह ने बताया, ‘‘भारतीय सेना में ‘कोल्ड स्टार्ट’ (सिद्धांत) जैसी कोई चीज नहीं है.’’ अमेरिकी राजदूत के भारतीय सेना के गोलबंदी प्रक्रिया को ‘धीमा और बेकार’ बताने को उन्होंने खारिज किया और कहा कि रोमर के नजरिए से वह इत्तेफाक नहीं रखते.
जनरल सिंह ने रेखांकित किया, ‘‘हम अनिवार्य तौर पर उस नजरिये से इत्तेफाक नहीं रखते. हम जानते हैं कि हमें कैसे क्या करना है.’’ उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में ‘चीजें जगह पर’ हैं. सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘परिस्थितियों के आधार पर हम आपात कार्रवाई करते हैं. हमें पूरा विश्वास है कि वक्त आने पर हम अपनी आकस्मिक ताकत का इस्तेमाल कर पाने में समर्थ होंगे.’’{mospagebreak}
सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की धीमी प्रक्रिया पर पूछे सवाल पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि यह प्रक्रियाओं के कारण है और तथ्य यह है कि अधिकारी इस बात की मुस्तैदी चाहते हैं कि कुछ भी गलत नहीं हो. उन्होंने कहा, ‘‘हमें मालूम है कि आधुनिकीकरण प्रक्रिया खरीद की प्रक्रिया की मुहताज है. इसमें कम से कम दो साल लगता है और इससे भी अधिक लगते हैं, क्योंकि कोई व्यक्ति कंपनी के बारे में सवाल खड़ी कर देता है कि यह कंपनी ऐसा कर रही है, वैसा कर रही है. यह ब्लैकलिस्ट में भी आ सकती है. बोफोर्स के मामले में ऐसा हुआ.’’
सिंह ने कहा, ‘‘प्रक्रिया के तौर पर हमें समस्याएं हैं क्योंकि यहां लोकतंत्र है और कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इन समस्याओं के साथ भारत को एक लड़ाकू बल कहा जा सकता है, जनरल ने कहा, ‘‘100 फीसदी. हम उन सभी लक्ष्यों को पाने में सक्षम है जिनकी हम आकांक्षा करते हैं.’’
उन्होंने कहा कि कहीं भी कोई भी बल 100 फीसदी आधुनिक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘कहीं भी, आदर्श स्थिति में, 30 फीसदी पुरानी विरासत रहती है, 30-40 फीसदी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में रहती है, जबकि अन्य 30 से 40 फीसदी पूरी तरह आधुनिक होती है.’’ सेना प्रमुख ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में निर्माण और दूसरे मुद्दों के कारण इसमें समय लगेगा. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘मैं केवल यही कह सकता हूं कि जो भी हमारे पास है, चाहे वह पुराना हो या जैसा भी, हम तब भी अपनी आकांक्षाओं को पाने में समर्थ हैं.’’