रामलीला मैदान के मंच पर अन्ना हजारे का अनशन हफ्ते दिन से ज्यादा चला और इस दौरान मैदान पूरी तरह ‘अन्नामय’ रहा. कहीं ‘अन्ना की रसोई’ तो ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ अन्ना की चाय और हां, हर सर पर ‘मैं हूं अन्ना’ की टोपी और अन्ना का मुखौटा.
अन्ना हजारे भले ही अनशन पर रहे लेकिन उनके समर्थन में आनेवाले प्रदर्शनकारियों के लिए ‘‘अन्ना की रसोई’’ का इंतजाम किया गया ताकि उनकी उर्जा में कमी नहीं होने पाए.
पिछले बारह साल से अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर का आयोजन करने वाले योगेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह और उनके ग्यारह अन्य साथियों ने अन्ना हजारे के रामलीला मैदान में आने के दिन ही
‘अन्ना की रसोई’ की शुरआत की.
योगेंद्र सिंह ने बताया कि हम पचास किलो चावल और अन्य खाद्य सामग्रियां लेकर आए थे और आज लोगों ने सहायता स्वरूप इतना कुछ दिया है कि भंडार भर गया है और अब हमें किसी
प्रकार की सहायता लेने से मना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पहले दिन जहां दस हजार के करीब लोगों ने अन्ना की रसोई में खाना खाया वहीं आज चालीस हजार लोगों ने लंगर
में भोजन किया.
रेलवे में काम करने वाले उदित शर्मा और चांदनी चौक में आभूषण की दुकान चलाने वाले अखिलेश वर्मा ने अन्ना की मुहिम में खाना परोस कर अपना योगदान दिया.
रामलीला मैदान में हर सुबह प्रदर्शनकारियों और मीडियाकर्मियों के लिए सुदीप नाम का एक स्वयंसेवक अन्ना ब्रांड चाय लेकर आता. उसके शरीर पर तख्ती लगी होती जिसपर लिखा होता, ‘भ्रष्टाचार मुक्त अन्ना चाय’ ‘मैं हूं अन्ना’ टोपी से गांधीवादी टोपी एक बार फिर युवाओं को खूब भायी और लगभग सारे प्रदर्शनकारियों के सर पर ये टोपी नजर आई. अन्ना के मुखौटे और उनकी तस्वीर वाला बैज भी खूब लोकप्रिय हुआ.