केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कराने संबंधी अपनी चेतावनी की उपेक्षा करने पर सोमवार को राज्य सरकार की खिंचाई की और प्रशासन को निर्देश दिये कि वह गुरुवार तक एक रिपोर्ट पेश कर यह बताये कि आखिर 102 श्रद्धालुओं की जान लेने वाली भगदड़ की यह घटना कैसे हुई.
सबरीमाला मंदिर से संबंधित मामलों की निगरानी करने वाली खंडपीठ ने पहाड़ी पर स्थित तीर्थस्थल के निकट पुल्लमेडू में शुक्रवार रात हुए इस हादसे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए यह भी कहा कि सालाना ‘मंडलन-मकाराविलाक्कु’ उत्सव के संचालन में शामिल विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी रही.
मध्य नवंबर से दो महीने तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. न्यायमूर्ति थोट्टाथिल राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति पी एस गोपीनाथन की पीठ ने पुलिस, वन विभाग और मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड को उन कारणों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा जिनकी वजह से शुक्रवार को भगदड़ मची थी. {mospagebreak}
न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने, भगदड़ जैसे हादसे से बचने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने की जरूरत के बारे में पांच जनवरी को प्रशासन को आगाह कराया था. पीठ ने कहा, ‘हम जानना चाहते हैं कि क्या हुआ था. यह स्पष्ट करें कि हादसा कैसे हुआ.’
पीठ ने कहा कि अदालत जानना चाहती है कि सरकार ने घायलों को और हादसे के बाद वहां फंसे लोगों को सहायता देने के लिए कौन से कदम उठाए. प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के समीप पुल्लुमेडु में शुक्रवार को मची भगदड़ में 100 से अधिक लोगों की जान गयी और करीब 50 अन्य घायल हुए. ज्यादातर श्रद्धालु तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के थे और पवित्र ‘मकर ज्योति’ के दर्शन के लिए आए थे.
केरल सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. कहा जा रहा है कि बिजली, पानी की आपूर्ति, ठहरने की सुविधा, पुलिस बल की कमी आदि के चलते यह हादसा हुआ. तमिलनाड़ु से आने वाले श्रद्धालु लंबे समय से पुल्लमेडू मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन वन क्षेत्र में व्यापक सुरक्षा का अभाव होने और भीड़ को नियंत्रित करने की कोई योजना नहीं होने की शिकायतें आती रही हैं.