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सियासी चक्रव्‍यूह से निकल पाएगी यूपीए सरकार?

पहले डीजल मूल्यवृद्धि और रियायती दर पर रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमित करने का फैसला, अगले ही दिन बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का फैसला और इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर लिए गए कुछ अन्य फैसलों ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है.

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ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

पहले डीजल मूल्यवृद्धि और रियायती दर पर रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमित करने का फैसला, अगले ही दिन बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का फैसला और इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर लिए गए कुछ अन्य फैसलों ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है.

तृणमूल कांग्रेस ने जहां उसे 72 घंटे का अल्टीमेटम दे रखा है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने आंखें तरेर रखी हैं. बहरहाल, देश की नजरें इन दलों पर टिकी हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि अगर संप्रग सरकार 72 घंटे में बहुब्रांड रिटेल में एफडीआई का फैसला और डीजल मूल्य वृद्धि वापस नहीं लेती तो वह कड़े फैसले लेने को मजबूर होगी.

इस बीच ऐसी चर्चा भी है कि केंद्र सरकार पर इन फैसलों को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के मकसद से तृणमूल कांग्रेस के केंद्र सरकार में शामिल मंत्री अपने पदों से इस्तीफा भी दे सकते हैं.

इस बीच, पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने तृणमूल की धमकियों पर कहा कि पार्टी हालांकि तृणमूल को साथ रखना चाहती है, लेकिन यदि वह साथ छोड़ना चाहती है, तो कांग्रेस को कोई समस्या नहीं है.

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पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि हम तृणमूल को संप्रग में चाहते हैं, लेकिन यदि वह सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो वह ऐसा कर सकती है. इससे सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

भट्टाचार्यजी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि तृणमूल मंत्रिमंडल और सरकार में बनी रहे. वे सरकार में रहते हुए विरोध कर सकते हैं और अपना प्रस्ताव रख सकते हैं. इसके लिए उन्हें सरकार छोड़ने की जरूरत नहीं है.' उन्होंने कहा, 'बहुत समझाने-बुझाने के बाद भी यदि उन्होंने सरकार का साथ छोड़ने का निर्णय ले लिया है तो वे जा सकते हैं. हमें कोई समस्या नहीं है.'

इससे पहले, तृणमूल नेता और केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी इस बारे में पार्टी की संसदीय दल की बैठक बुलाएंगी जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बनर्जी ने शुक्रवार को सरकार को इस मुद्दे पर 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था.

रॉय ने कहा, 'उन्होंने (बनर्जी) केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. अगर सरकार एफडीआई, डीजल मूल्यवृद्धि और सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या पर अपने फैसले पर जल्द पुनर्विचार नहीं करती तो तृणमूल कांग्रेस बैठक करेगी और कड़े फैसले लेगी.' उन्होंने कहा कि संसदीय दल की मंगलवार की बैठक अभी तय नहीं है. जबकि इससे पहले सांसद कुणाल घोष ने कहा था कि पार्टी की संसदीय दल की बैठक मंगलवार को होगी जिसमें केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बारे में फैसला किया जाएगा.

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उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी घटक है. तृणमूल के लोकसभा में 19 सांसद हैं और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में उसके छह मंत्री हैं.

इससे पहले शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि राजनीतिक नेताओं को अपना लाभ खोजने की जगह आम लोगों के बारे में सोचना चाहिए.

डीजल मूल्य में वृद्धि और खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए बनर्जी ने कांग्रेस को लक्ष्मण रेखा नहीं लांघने की चेतावनी दी. एक रैली को सम्बोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, 'हम सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन उन्हें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए. हम जनविरोधी फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे. हमने सोचने के लिए 72 घंटे की मोहलत दी है. यदि आप पीछे हट जाते हैं तो अच्छा होगा, वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहिए.'

उल्लेखनीय है कि सरकार ने गुरुवार को डीजल के मूल्य में पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी और हर परिवार को रियायती मूल्य पर रसोई गैस के सिलेंडरों की संख्या साल में छह तक सीमित कर दी. इसके अगले दिन सरकार ने बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी.

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जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने एफडीआई पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यह बहादुरी भरा कदम नहीं है बल्कि जोखिम भरा है.

शरद यादव ने कहा, 'एफडीआई के आने से सवा दो लाख लोग प्रभावित होंगे. हम किसी भी सूरत में देश में विदेशी बाजार खोलने नहीं देंगे. 20 सितम्बर को गैर संप्रग दलों की ओर से आयोजित भारत बंद इस सरकार के जाने का रास्ता तैयार करेगा.' यादव ने उम्मीद जताई कि तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) इस मामले में सरकार का साथ कतई नहीं देंगे.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता प्रकाश करात ने सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों में हिस्सेदारियों का विनिवेश करने के संप्रग सरकार के प्रस्ताव की निंदा की. करात ने पार्टी की राज्य इकाई की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि माकपा ने अन्य दलों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और सभी मिलकर 20 सितम्बर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे. यदि सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ाए तो विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा.

करात ने ओडिशा में नालको के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी मुनाफा कमा रही होती है, तब सरकार उसकी हिस्सेदारियां बेचने का निर्णय लेती है. उन्होंने कहा, 'जब कोई कम्पनी बड़ा मुनाफा कमा रही होती है, उस समय वह कहते हैं कि उसकी हिस्सेदारियां बेचेंगे.'

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माकपा महासचिव ने कहा, 'सरकार ने पांच कम्पनियों की घोषणा की है, जिसकी हिस्सेदारियां वह बेचना चाहती है.' इनमें से किसी भी कम्पनी के कर्मचारी या मजदूर नेता हिस्सेदारियां बेचने का कदम स्वीकार नहीं करेंगे. करात ने कहा, 'हमने अन्य दलों से चर्चा की है, और अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. यदि सरकार ने अपनी नीतियों को जारी रखा तो हम आंदोलन तेज करने के बारे में सोचेंगे.'

वामपंथी दलों ने खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने और पीएसयू में विनिवेश तथा डीजल मूल्य वृद्धि के साथ सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की राशनिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए शनिवार को गैर राजग और गैर संप्रग दलों से हाथ मिलाया.

इन दलों में सपा, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), बीजू जनता दल (बीजद), और जनता दल (सेक्युलर) शामिल हैं. इन सभी ने 20 सितम्बर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने भी उसी दिन विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.

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