नार्वे की राजधानी ओस्लो में बम विस्फोट और शहर के बाहर स्थित द्वीप पर एक युवा शिविर पर गोलीबारी की घटनाओं में कम से कम 91 लोगों की मौत हो गई. नार्वे में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह सबसे भयावह घटना है. पुलिस इस मामले में 32 वर्षीय एक संदिग्ध से पूछताछ कर रही है.
यह भयावह हिंसक घटना एक द्वीप से शुरू हुई जहां पुलिस की वर्दी पहने एक हथियारबंद व्यक्ति ने युवा शिविर पर गोलीबारी कर दी. नार्वे के प्रधानमंत्री जेन्स स्टोलटनबर्ग का कहना है कि ‘हिंसा की इस भयानक घटना’ के बाद देश और भी मजबूती से एकजुट होगा.
उन्होंने सुबह संवाददाता सम्मेलन में कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हमारे देश में इतनी भयावह हिंसक घटना नहीं हुई है. पुलिस अभी भी उटोया द्वीप पर हुई इस घटना में मारे गए लोगों के शवों की तलाश में जुटी है.
गिरफ्तार संदिग्ध की पहचान के बारे में अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं की गई है जबकि स्थानीय मीडिया उसका नाम एंड्रेस बेहरिंग ब्रेइविक बता रही है.
पुलिस आयुक्त स्वेइनुंग स्पोंहेइम ने इस बात की पुष्टि की है कि संदिग्ध 32 वर्ष का नार्वे का नागरिक है जिसने ऑनलाइन मुस्लिम विरोधी बयानबाजी की. सूत्रों के अनुसार, इस संदिग्ध का दक्षिणपंथी चरमपंथियों से संबंध है और उसके नाम पर दो हथियार पंजीकृत हैं.
नार्वे पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘सरकारी भवन में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ है.’ नार्वे के टेलीविजन पर दिखाये गये चित्रों में प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य भवनों को भारी क्षति हुई है.सरकारी प्रवक्ता कैमिला रिस्ते ने बताया कि प्रधानमंत्री जेंस स्तोलतेनबर्ग सुरक्षित हैं.
मामले के चश्मदीद गवाह ओले टॉमी प्रेडसन ने बताया कि वह दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे सरकारी इमारत से करीब सौ मीटर की दूरी पर एक बस स्टॉप पर खड़ी थी जब उसने देखा कि 20 मंजिला इमारत की खिड़कियां हिल उठीं. उन्होंने बताया कि इमारत के भूतल से धुएं का बादल उठ रहा था.
प्रेडसन ने बताया, ‘मैंने कुछ मिनट बाद इमारत से तीन चार घायलों को बाहर लाते देखा.’ इस घटना के बाद समीप के कार्यालयों से लोगों को बाहर निकाला गया.
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