दिल्ली के खाते में एक और बदनुमा दाग जुड़ गया है और यह देश का सबसे असुरक्षित महानगर बन गया है. चाहे अपराध हो या महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार की गिनती, राष्ट्रीय राजधानी इन सबमें अव्वल हो गयी है.
सरकार के ताजातरीन आंकड़ों के मुताबिक, 2009 में देश के बड़े 35 नगरों में हुये 3,43,749 अपराधों में दिल्ली का हिस्सा सबसे ज्यादा 13.2 फीसदी रहा. इसके बाद बैंगलोर (9.4 फीसदी) और मुंबई (9.1 फीसदी) का स्थान रहा.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा तैयार किये गये इस रिपोर्ट में बताया गया कि इन शहरों में बलात्कार के कुल 1,696 मामलों में केवल दिल्ली में 404 मामले हुये. महिलाओं के अपहरण में भी दिल्ली का हिस्सा सबसे अधिक रहा. फिरौति के 3,544 मामलों में राजधानी का हिस्सा 38.9 फीसदी रहा.
2009 में दिल्ली में दहेज के दानवों ने कई नववधुओं को लील लिया. देश के बड़े 35 शहरों में दहेज हत्या के 684 मामलों में अकेली दिल्ली में 104 मामले सामने आये. छेड़छाड़ के मामलों में भी दिल्ली पीछे नहीं रही. कुल 3,477 मामलों में यहां 14.1 फीसदी यानि 491 मामले हुये.
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में बताया गया, ‘बच्चों के खिलाफ अपराध का राष्ट्रीय औसत दर 2.1 रहा जबकि दिल्ली में यह दर 16 दर्ज किया गया जोकि सर्वाधिक था.’ रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 में अपराधों में 12.4 फीसदी का इजाफा हुआ.
2008 में कुल 59,38,104 मामले दर्ज किये गये थे जबकि 2009 में ये बढ़कर 66,75,217 हो गये. भारतीय दंड संहिता के तहत हुये अपराधों में 28,49,025 लोग गिरफ्तार हुये जबकि विशेष और स्थानीय कानूनों की गिरफ्त में 49,02,606 लोग आये. कुल मिलाकर 77,51,631 लोगों के हाथों में हथकड़ियां जकड़ीं.
रिपोर्ट में बताया गया, ‘गिरफ्तार हुये लोगों में 46.5 फीसदी 18 से 30 आयुवर्ग के थे जोकि यह दिखाता है कि युवाओं में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ी है. किशोर अपराधियों में 64.1 प्रतिशत उनका था जो गरीब परिवारों से आते हें और जिनकी पारिवारिक आमदनी सालाना 25,000 रुपये से भी कम है.’ देश में हुई कुल 32,369 हत्याओं में उत्तर प्रदेश का हिस्सा 14 फीसदी रहा और वहां हत्या के 4,534 मामले दर्ज किये गये.