राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के लिए कैग की ओर से आरोपी ठहराए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने यह कहते हुए अपना हौसला बुलंद रखा कि उसने कोई गलती नहीं की है और जब यह रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास जाएगी तब वह इन आरोपों का जवाब देगी.
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नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट संसद में पेश होने के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने बैठक कर रिपोर्ट के निष्कर्षों पर चर्चा और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ एकजुटता दिखाई. कैग ने अनियमितताओं के लिए मुख्यमंत्री की खिंचाई की है.
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद दीक्षित ने कहा कि जब पीएसी रिपोर्ट की पड़ताल करेगी तब दिल्ली सरकार उसके साथ पूरा सहयोग करेगी. हालांकि उन्होंने आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं आपको यह आश्वस्त कर सकती हूं कि जब कैग रिपोर्ट पीएसी के पास जाएगी तब सुस्थापित परंपरा के अनुसार, जिस किसी भी विभाग से पीएसी के समक्ष पेश होने को कहा जाएगा, पीएसी का कोई भी सदस्य जिस किसी भी सवाल का जवाब चाहेगा, उसमें हम पूरा सहयोग करेंगे.’ उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया. संवाददाता सम्मेलन में उनके सभी मंत्रिमंडलीय सहयोगी मौजूद थे.
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जब शीला दीक्षित से विपक्ष की ओर उनके इस्तीफे की की जा रही मांग के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, ‘इस्तीफे की मांग करना विपक्ष का काम है.’ कैग ने अपनी रिपोर्ट में कई परियोजनाओं में अनियमितताएं उजागर की है जिनमें राष्ट्रमंडल खेल से पहले सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था, सौंदर्यीकरण आदि शामिल हैं.
विपक्ष के बढ़ते हमले के बीच दीक्षित खेमा अब इस संकट के राजनीतिक प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा करने वाले मंत्रिमंडल का मत था कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेल से जुड़ी परियोजनाओं में कोई अनियमितता नहीं की. उसका यह भी मानना था कि विधानसभा की ही लोक लेखा समिति ही दिल्ली सरकार के धन से संपन्न परियोजनाओं की जांच कर सकती है.
दिल्ली सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कहा, ‘ऐसा मत है कि राज्य सरकार की परियोजनाओं की जांच दिल्ली विधानसभा की पीएसी द्वारा ही होनी चाहिए. हमने 13000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और कुछ खास परियोजनाओं के लिए ही केंद्र से केवल 2800 करोड़ रुपये मिले.’ उन्होंने कहा कि इस मामले में अंतिम निर्णय तो संसद की लोक लेखा समिति ही ले सकती है.
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मंत्रिमंडल ने उपराज्यपाल से 29 अगस्त से पांच सितंबर तक मानसून सत्र बुलाने का भी सिफारिश की ताकि सरकार को इन अनियमितताओं के बारे में सफाई देने का अवसर मिले.
सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है. कैग ने सिर्फ कुछ क्रियान्वयन संबंधी गलतियों का जिक्र किया है. यह कोई अभ्यारोपण नहीं है.’ सूत्रों ने कहा, ‘कैग किसी पर अभ्यारोपण नहीं कर सकता. यह सिर्फ लेखा परीक्षक है. यह रिपोर्ट अब लोक लेखा समिति के पास जाएगी और सिर्फ समिति द्वारा लिया गया निर्णय ही मायने रखेगा. अदालत ही यह तय कर सकती है कि कोई दोषी है या नहीं न कि कैग.’
सूत्रों ने बताया कि कैग ने व्यय का लेखा परीक्षण किया है और गलत निर्णयों का जिक्र किया है. मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया है.
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