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डीयू में शिक्षक नहीं चाहते सेमेस्‍टर प्रणाली

दिल्ली विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने पर चल रही बहस के बीच कई शिक्षकों ने इसे जल्दीबाजी में उठाया जा रहा कदम बताते हुए इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से धमकी भरे अंदाज में लागू नीति की संज्ञा दी है.

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दिल्ली विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने पर चल रही बहस के बीच कई शिक्षकों ने इसे जल्दीबाजी में उठाया जा रहा कदम बताते हुए इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से धमकी भरे अंदाज में लागू नीति की संज्ञा दी है.

विश्वविद्यालय प्रबंधन जहां सेमेस्टर प्रणाली के तहत नये पाठ्यक्रम को शुरू करने के लिए पूरी तैयारी चुका है वहीं शिक्षकों के एक वर्ग का मानना है कि इस बदलाव के लिए बाहर से दबाव बनाया जा रहा है और इसे जबरन उन पर थोपा जा रहा है.

एक ज्वाइंट एक्शन बडी (जेएबी) के तहत विरोध प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने अपने विरोध को अकादमिक प्रतिरोध आंदोलन की संज्ञा दी है. उनका कहना है कि शिक्षा की 89 साल पुरानी व्यवस्था को बदलने के लिए जल्दीबाजी के बजाय उचित विचार-विमर्श और चर्चा की जानी चाहिए.

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रामलाल आनंद कॉलेज के स्‍टॉफ संघ के अध्यक्ष और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के सदस्य प्रोफेसर राजेश कुमार ने कहा, ‘अभी तक शिक्षकों के विचार नहीं सुने गये हैं. हमसे कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं ली गयी जबकि नयी प्रणाली में दरअसल पढ़ाना हमें ही है. सभी पाठ्यक्रमों के लिए एक सार्वभौमिक नीति नहीं अपनाई जा सकती.’ {mospagebreak}

जेएबी की सदस्य प्रोफेसर विनीता चंद्रा ने कहा कि शिक्षक डरे हुए हैं और उन्होंने नयी प्रणाली की खामियों को हटाने की मांग की है. रामजस कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाने वाली विनीता ने कहा, ‘विश्वविद्यालय धमकाने वाली नीति अपना रहा है. हम डरे हुए हैं. मुझे पता है कि किसी न किसी तरह हमारी खिंचाई होगी. हमें यह भी नहीं पता कि क्या होगा. हम असहाय हैं लेकिन फिर भी उम्मीद बनी हुई है.’

शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन के नये तरीके इजाद किये हैं और वे कुलपति कार्यालय के बाहर लॉन में बच्चों को पढ़ा रहे हैं तथा केंडल लाइट विजिल आयोजित कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे सेमेस्टर प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे बिना उचित रूपरेखा के जिस तरीके से लागू किया जा रहा है, वे उसके विरोध में हैं.

शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सामाजिक विज्ञान विभाग को हाल ही में ‘धमकी भरा’ पत्र मिला जिसमें उनसे इस व्यवस्था के खिलाफ मतदान करने वालों की सूची मांगी गयी है. इतिहास विभाग के प्रोफेसर हरि सेन ने कहा कि पत्र में इस्तेमाल भाषा ने भी शिक्षक समुदाय को नाराज किया है.

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दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में अंग्रेजी के अध्यापक प्रोफेसर प्रमेश रत्नाकर ने कहा, ‘यदि प्रशासन सेमेस्टर प्रणाली को बदलने का इतना ही इच्छुक है तो इसे तार्क आधार पर किया जाना चाहिए जिसमें विषय के साथ न्याय हो और हमारे पढ़ाने के तरीके पर भी आघात नहीं हो जिसमें न केवल विषय बल्कि छात्रों का संपूर्ण विकास भी शामिल है.’ {mospagebreak}

हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह शिक्षक समुदाय की आपत्तियों की परवाह किये बिना इस बारे में अच्छा माहौल बनने की उम्मीद जताते हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि 2011 तक विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली शुरू हो जाएगी. अच्छा माहौल बनेगा. यह लगभग हो चुका है. हमने काफी प्रगति की है.’

कुलपति ने कहा, ‘कुछ समूह हैं जो विश्वविद्यालय को परेशानी में डालना चाहते हैं. उनकी संख्या कम है और वे पूरे शिक्षक समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते.’ उन्होंने सेमेस्टर प्रणाली को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह व्यवस्था लचीली है और दुनिया की अन्य प्रणालियों से जोड़ती है.

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