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ड्रैगन ने फिर कसा भारत पर शिकंजा! | सिरदर्द बना चीन

यूं तो भारत हमेशा से ही अपने पड़ोसी मुल्‍कों से बेहतर संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन उसकी यह हसरत फिलहाल पूरी होती नहीं नजर आ रही है. चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध बनाने का औपचारिक एलान करके भारत की चिंताओं को पहले से ज्‍यादा बढ़ा दिया है.

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यूं तो भारत हमेशा से ही अपने पड़ोसी मुल्‍कों से बेहतर संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन उसकी यह हसरत फिलहाल पूरी होती नहीं नजर आ रही है. चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध बनाने का औपचारिक एलान करके भारत की चिंताओं को पहले से ज्‍यादा बढ़ा दिया है.

चीन के साथ भारत के संबंध पहले से ही तनाव के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में चीन की यह हरकत दोनों देशों के बीच की कड़वाहट को बढ़ाने का ही काम करेगी. दूसरी ओर भारत सिर्फ वार्ता करके ही अपना दायित्‍व पूरा कर लेने की भूल करता जा रहा है. यह भविष्‍य के लिए कतई शुभ संकेत नहीं माना जा सकता.

चीन ने भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए कहा है कि वह ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध का निर्माण कर रहा है. चीन का कहना है कि वह पनबिजली पैदा करने के लिए बांध बना रहा है.

क्‍या है चीन की योजना?
चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने रिपोर्ट जारी कर कहा है कि 510 मेगावाट क्षमता वाले झांगमु हाइडल प्रोजेक्‍ट का निर्माण कार्य 12 नवंबर से शुरू हो गया है. तिब्‍बत स्‍वायत्तशासी क्षेत्र के गयाका काउंटी में बन रही यह यूनिट 2014 तक तैयार हो जाएगी. चीन का दावा है कि वह इस बांध का निर्माण बिजली उत्‍पादन, बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के कामों के लिए कर रहा है. इस परियोजना पर 7.9 अरब युआन यानी 1.2 अरब डॉलर खर्च होने की उम्‍मीद है.{mospagebreak}

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क्‍या हैं भारत की चिंताएं?
भारत की चिंता यह है कि चीन बांध बनाने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी का रुख मोड़ सकता है. युद्ध जैसे हालात होने पर चीन इसका इस्‍तेमाल भारत में बाढ़ जैसे हालात पैदा करने में भी कर सकता है. साथ ही यह बांध जिस नदी पर बन रहा है, वह नदी पूर्वोत्तर में भारत के कुछ इलाकों से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है. भारत और चीन के बीच सामरिक वार्ता के दौरान भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने जब इस बांध का मुद्दा उठाया, तो चीनी प्रतिनिधि ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि इस बांध के निर्माण का मकसद बिजली पैदा करना है और इसका नदी के निचले इलाकों में कोई असर नहीं पड़ेगा.

चीन की बातों से फैला संदेह
पिछले साल सेटेलाइट चित्रों में जब चीन द्वारा बांध बनाने की बात सामने आई थी, तो चीन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया था. चीन अब सफाई दे रहा है कि वह बिजली उत्‍पादन के लिए बांध बना रहा है. ऐसे में उसकी बातों से भ्रम फैलना और भारत का चिंतित होना, दोनों ही लाजिमी है. भारत ने इससे पहले इस मुद्दे को चीन के सामने कई बार उठाया है, लेकिन उसने हर बार इनकार ही किया है.

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सेटेलाइट की तस्‍वीरों से हुआ खुलासा
चीन ने झांगमु में मार्च में 116 मीटर ऊंचा बांध बनाने की परियोजना का उद्घाटन किया था. चीन कहता आया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर कोई बांध नहीं बना रहा है, लेकिन नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए) के सैटेलाइट द्वारा लिए गए चित्रों से पता चला कि झांगमु में बांध निर्माण चल रहा है. चित्र में झांगमु में निर्माण कार्य और ट्रकों की आवाजाही दिखाई देती है. यह चित्र इस मुद्दे पर गठित सचिवों की समिति को भी दिखाए जा चुके हैं.{mospagebreak}

मंडाराया जल संकट का खतरा
ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध के निर्माण से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जल संकट हो सकता है. भारत की इस चिंता को पिछले साल थाईलैंड में आसियान सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ की मुलाकात में भी उठाया गया था. इन हालात में ड्रैगन की मंशा पर शक होना एकदम स्‍वाभाविक है.

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