बिहार विधानमंडल के शुक्रवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पेश किए जाने वाले लोकायुक्त अधिनियम 2011 के लिए विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय के समन्वय विभाग के प्रधानसचिव रविकांत ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने बिहार लोकायुक्त अधिनियम 2011 के लिए विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर दी है.
उन्होंने बताया कि इस विधेयक पर राज्यपाल की सहमति प्राप्त कर उसे विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाएगा.
रविकांत ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृति की उम्र को 62 से बढाकर 65 कर दिया गया है और यह 30 जून 2010 से लागू होगा.
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आलोक में दुर्गावती जलाशय परियोजना के लिए वन भूमि अपयोजन के लिए दिए जाने वाली राशि के उपयोग के वास्ते मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक सोसाइटी बनाए जाने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी है .
रविकांत ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राज्य सरकार के कर्मियों को चिकित्सा के लिए मिलने वाले रूपांतरित अवकाश के दायरे को बढाने को मंजूरी प्रदान कर दी.
बिहार राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधान सचिव रविकांत ने बताया कि पूरे सेवा काल के दौरान मिलने वाला 180 दिन का रूपांतरित अवकाश जो कि पहले कर्मचारी को स्वयं की चिकित्सा के लिए मिलता था, पर अब राज्य सरकार ने प्रावधान किया है कि उक्त अवकाश वृद्ध माता-पिता और सास-ससुर दोनों की बीमारी के समय भी सरकारी कर्मी को प्राप्त हो सकेगा.
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग नियमावली 2003 में संशोधन जिसके तहत आयोग की सदस्यों की संख्या दो से बढाकर चार किए जाने सहित कई अन्य प्रावधानों के संबंध में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है.
रविकांत ने बताया कि मुख्यमंत्री स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए बिहार ठेकेदारी निबंधन नियमावली 2007 में एक नयी श्रेणी चार शामिल किए जाने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी है.
उन्होंने बताया कि श्रेणी चार के तहत आने वाले ठेकेदारों का निबंधन जिला में होगा और उनके लिए निबंधन शुल्क पांच हजार रूपये निर्धारित किया गया है तथा वे जिला स्तर पर 25 लाख रूपये तक की योजना के कार्यो के लिए वे निविदा दे सकेंगे.
रविकांत ने बताया कि बिहार के पदों की रिक्तियों और सेवाओं में आरक्षण अधिनियम 1991 के अनुसूची दो के अंतर्गत पिछडे वर्ग की सूची में दर्ज सामरी वैश्य जाति को वहां से विलोपित कर उसे अत्यंत पिछडों की अनुसूची एक में अंकित किए जाने को मंत्रिपरिषद ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष आये कुल 33 मामलों को स्वीकृति प्रदान की गयी.