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बड़ी परियोजनाएं निशाने पर नहीं, नियमों के मुताबिक होगा कामकाज: रमेश

उद्योग जगत की तरक्की की राह में पर्यावरण नियमों के अवरोध पैदा करने संबंधी उद्योगपतियों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश के तहत पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि उनका मंत्रालय तेज औद्योगिकी विकास में खलल पैदा नहीं कर रहा है लेकिन साफ कर दिया कि नियमों का पालन करते हुए ही सारे फैसले किये जायेंगे.

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Jairam Ramesh
Jairam Ramesh

उद्योग जगत की तरक्की की राह में पर्यावरण नियमों के अवरोध पैदा करने संबंधी उद्योगपतियों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश के तहत पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि उनका मंत्रालय तेज औद्योगिकी विकास में खलल पैदा नहीं कर रहा है लेकिन साफ कर दिया कि नियमों का पालन करते हुए ही सारे फैसले किये जायेंगे.

रमेश ने यह भी कहा कि यह धारणा गलत है कि वह बड़ी कंपनियों और बड़ी परियोजनाओं के मामले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं और उन्हें निशाने पर ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय उन्हीं मामलों में हस्तक्षेप करता है, जिनके बारे में जनता की ओर से सवाल उठाये जाते हैं. रमेश ने उद्योग जगत की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश के तहत मंगलवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. वह 24 जनवरी को फिक्की के सदस्यों से भी चर्चा करने वाले हैं.

पर्यावरण मंत्री ने सीआईआई के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि पर्यावरण मंत्रालय तेज औद्योगिक विकास की राह में खलल पैदा नहीं कर रहा है. लेकिन मंत्रालय सभी निर्णय नियमों के मुताबिक और उचित तरीके से करेगा. कंपनियों को वन संरक्षण कानून, पर्यावरण संरक्षण कानून, वनाधिकार कानून, वन्यजीव संरक्षण कानून और तटीय नियमन क्षेत्र अधिसूचना 2011 के अनुसार ही चलना होगा.’ {mospagebreak}

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उन्होंने कहा, ‘मैं उद्योग जगत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन इसके ये मायने कतई नहीं हैं कि कानूनों में कोई नर्मी लायी जायेगी या उन्हें खत्म कर दिया जायेगा.’ रमेश ने इन आरोपों का भी खंडन कर दिया कि वह और उनका मंत्रालय सिर्फ बड़ी परियोजनाओं को ही निशाने पर ले रहा है, फिर चाहे वह आदर्श सोसायटी हो, लवासा परियोजना हो, पॉस्को का संयंत्र हो या वेदांता का मामला हो.

उन्होंने कहा, ‘यह गलतफहमी है कि मेरे कदम स्वत: संज्ञान पर आधारित होते हैं. मेरे कदम विभिन्न संगठनों द्वारा कुछ परियोजनाओं के बारे में उठायी गयी आपत्तियों पर आधारित होते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की परियोजनाओं के मामले में ऐसा हुआ है.’ रमेश ने कहा, ‘मैं सिर्फ जनता और नागरिक समाज की मांगों पर प्रतिक्रिया देता हूं. आदर्श सोसायटी के मामले में भी ऐसा ही हुआ जब विभिन्न वर्ग की मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्रालय ने सोसायटी की इमारत के खिलाफ कदम उठाये.’

गौरतलब है कि बीते रविवार ही पर्यावरण मंत्रालय ने आदर्श सोसायटी को उसकी 31 मंजिला इमारत को तीन महीने के भीतर ढहा देने के निर्देश दिये, जबकि मंगलवावर को पुणे स्थित लवासा सिटी परियोजना को अनाधिकृत करार दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने मंत्रालय के कामकाज में आमूलचूल बदलाव लाना चाहते हैं. {mospagebreak}

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रमेश ने सीआईआई के इस सुझाव पर सहमति जतायी कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की परियोजनाओं के लिये निविदा आमंत्रित किये जाने से पहले ही संबंधित मंत्रालय वन और पर्यावरण मंजूरी हासिल कर ले. पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वह तथा ‘उनके आला’ भी इस बात से सहमत हैं कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की इजाज़त देने की प्रक्रिया सक्षम, प्रतियोगी और पारदर्शी तरीके से हो.

मंत्री ने कहा कि ‘अपने आला’ से उनके मायने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हैं, जिन्होंने पिछले महीने पार्टी महाधिवेशन में भ्रष्टाचार से निपटने के लिये पांच सूत्री एजेंडा सुझाया था. इस एजेंडे में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की मंजूरी देने के मामले में पारदर्शिता बरतने पर जोर दिया गया था. उन्होंने कहा कि हाल ही में तटीय नियमन क्षेत्र अधिसूचना 2011 घोषित करने के साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने बदलाव की दिशा में अहम कदम उठाया है. रमेश ने कहा कि मंत्रालय की संस्थागत क्षमताओं को सुधारने और कानूनों को आधुनिक बनाये जाने की जरूरत है. हमें पर्यावरण संबंधी कानूनों को आदिवासियों और वन क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों की दृष्टि से अधिक संवेदनशील बनाना होगा.

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