पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि देश के धर्म एवं संस्कृति से करीबी तौर पर जुड़े ‘हाथी’ को जल्द ही राष्ट्रीय धरोहर प्राणी घोषित किया जाएगा.
रमेश ने संवाददाताओं को बताया, ‘हम जल्द ही हाथी को राष्ट्रीय धरोहर प्राणी घोषित करेंगे क्योंकि वे युगों से हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं. इन विशाल प्राणियों का संरक्षण करने के लिए हमें इन्हें बाघों की तरह ही अहमियत देने की जरूरत है.’ पिछले साल अक्तूबर में सरकार ने नदियों में पाई जाने वाली डाल्फिन को ‘राष्ट्रीय जलीय जीव’ घोषित किया था जो नदियों की, खास तौर पर गंगा की स्वच्छता का प्रतिनिधित्व करती है. रमेश ने यह भी कहा कि एनटीसीए की तर्ज पर राष्ट्रीय हाथी संरक्षण प्राधिकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए ‘वन्य जीव (संरक्षण) कानून’ में भी संशोधन करने की जरूरत है.
गौरतलब है राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) का गठन बाघों के संरक्षण के लिए किया गया था. रमेश ने देश में इस विशालकाय जीव को संरक्षित करने की जरूरत की बात करते हुए कहा, ‘इनका बाघों जैसा हश्र होने से रोकने के लिए हम संसद के शीतकालीन सत्र में इसे (संशोधन) पेश करेंगे.’ देश में बाघों की संख्या 1,411 रह गई है. कुछ महीने पहले मंत्रालय ने ‘हाथी कार्य बल’ का गठन किया था, जिसने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रालय को सौंप दी, जिसमें इस बात का जिक्र किया कि भारत को नये अभयारण्य बनाकर अपने हाथियों की संख्या संरक्षित करनी चाहिए.{mospagebreak}उन्होंने कहा, ‘इनका शिकार किया जाना रुकना चाहिए और जंगल में इनके यात्रा मार्ग में विकास कार्यों पर पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.’ समिति द्वारा मंदिरों में रखे गए हाथियों की दुर्दशा के बारे में इशारा किए जाने से चिंतित रमेश ने फौरन ही अपने अधिकारियों को पशु कल्याण के लिए एक दिशानिर्देश तैयार करने को कहा, जिसे मंदिर प्रशासन द्वारा लागू किया जाएगा.