पटना उच्च न्यायालय द्वारा बथानी टोला दलित नरसंहार मामले में 23 सजायाफ्ता को बरी कर दिये जाने के फैसले को बिहार सरकार उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.
राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने साक्ष्य की कमी और अभियोजन पक्ष के कमजोरी का हवाला देते हुए निचली अदालत से सजायाफ्ता 23 लोगों को दलित हत्याकांड में बरी कर दिया है.
इसलिए राज्य सरकार हत्याकांड में सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी. उन्होंने कहा कि हम अदालत के फैसले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन जिन बिंदुओं की ओर ध्यान दिलाया गया है उसे देखते हुए फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया गया है.
मांझी ने कहा कि 17 अप्रैल को नयी दिल्ली में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के अनुपालन के संबंध में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने बथानी टोला नरसंहार कांड की ओर ध्यान दिलाया था. राज्य सरकार ने विचार करते हुए 23 लोगों को बरी किये जाने के उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है.
उल्लेखनीय है कि बीते 16 अप्रैल को पटना उच्च न्यायालय ने भोजपुर जिले के सहार थाना अंतर्गत बथानी टोला गांव में हुए नरसंहार मामले में 23 लोगों को बरी कर दिया था. 11 जुलाई 1996 को गांव में 21 दलितों को मौत के घाट उतार दिया गया था.
इस हत्याकांड में आरा स्थित निचली अदालत ने 2010 में 23 लोगों को सजा सुनाई थी.