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राजोआना फांसी विवादः पंजाब में बंद से जनजीवन प्रभावित

पंजाब में बेअंत सिंह हत्या मामले में दोषी ठहराये गये बलवंत सिंह राजोआना को दी जाने वाली फांसी के विरोध में कट्टरपंथी सिख संगठनों के बंद के आह्वान से राज्य के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा.

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बलवंत सिंह राजोआना फांसी विवाद
बलवंत सिंह राजोआना फांसी विवाद

पंजाब में बेअंत सिंह हत्या मामले में दोषी ठहराये गये बलवंत सिंह राजोआना को दी जाने वाली फांसी के विरोध में कट्टरपंथी सिख संगठनों के बंद के आह्वान से राज्य के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा.

पटियाला से मिली रिपोर्ट के अनुसार शहर में बंद का पूरा असर है. वहीं के केंद्रीय कारागार में राजोआना बंद है. चंडीगढ़ सत्र अदालत के आदेश के तहत उसे 31 मार्च को फांसी दी जानी है.

औद्योगिक शहर लुधियाना में स्थिति शांतिपूर्ण है. रेस्तरां तथा खाने-पीने की दुकानें खुली हुई हैं जबकि वाणिज्यिक प्रतिष्ठान आंशिक रूप से खुले हैं.

उधर, फगवाड़ा में बंद का असर दिखा. सड़क यातायात सामान्य है लेकिन सार्वजनिक वाहनों में यात्रियों की संख्या काफी कम है. सिख समुदाय के कुछ लोगों ने झंडे लेकर जुलूस निकाला. सुरक्षाकर्मी शांति बनाये रखने के लिये संवेदनशील जगहों पर गश्त कर रहे हैं.

कट्टरपंथी दल खालसा, खालसा एक्शन कमेटी तथा खालसा मिशन संगठन ने सिख समुदाय से स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठान और कारोबार बंद रखने को कहा है.

सुरक्षा बलों ने लोगों में विश्वास बहाली के लिये राज्य के प्रमुख ठिकानों पर फ्लैग मार्च किया है. इस बीच, पटियाला सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है.

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प्रदर्शनकारियों पर नजर रखने के लिये विशेष नियंत्रण कक्ष बनाये गये हैं. अकाल तख्त के निर्देश पर राजोआना के समर्थन में राज्य के विभिन्न भागों में प्रार्थना का आयोजन किया गया.

व्यापार और उद्योग जगत के लोगों ने बंद के मद्देनजर पंजाब सरकार से मंगलवार को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिये उपयुक्त कदम उठाने को कहा था. सीबीआई की विशेष अदालत ने बेअंत सिंह हत्या मामले में एक अगस्त 2007 को राजोआना तथा जगतार सिंह हवाड़ा को मौत की सजा सुनायी थी.

चंडीगढ़ की अदालत ने ‘डेथ वारंट’ इस महीने पटियाला जेल प्राधिकरण को दे दिया. उनसे 31 मार्च को फांसी की तामील करने को कहा गया है.

31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह आत्मघाती बम हमले में मारे गये थे. जिस समय आत्मघाती हमला हुआ सिंह चंडीगढ़ में पंजाब सचिवालय स्थित उच्च सुरक्षा वाले अपने दफ्तर से निकल रहे थे. इस घटना में 17 अन्य लोग मारे गये थे. योजना के तहत हमले में दिलावर के विफल होने पर राजोआना को दूसरे मानव बम के रूप में इस्तेमाल किया जाना था.




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