पंजाब सरकार जहां एक ओर लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का दावा करती रही है, वहीं दूसरी ओर जालंधर के सदर अस्पताल में बुधवार देर रात सिर्फ 200 रुपये की खातिर चिकित्साकर्मियों ने एक नवजात शिशु को कथित रूप से जीवन रक्षक प्रणाली से हटा दिया, जिससे कुछ ही देर में उसकी मौत हो गयी.
इस बारे में अस्पताल के कार्यकारी सिविल सर्जन डॉ. आरएल वस्सन का कहना है कि यह मामला उनके ‘अधिकार क्षेत्र’ में नहीं आता. दूसरी ओर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. इकबाल सिंह को भी इस मामले की जानकारी नहीं है, क्योंकि बुधवार को वे किसी ‘सरकारी बैठक’ के सिलसिले में जालंधर से बाहर थे. नवजात के पिता तथा शहर के संतोखपुरा इलाके के निवासी संजीव कुमार ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने महज दौ सौ रुपये की खातिर कथित रूप से उनकी बेटी की ‘हत्या’ कर दी. पैसे जमा नहीं कराने के कारण उनकी पांच दिन की बेटी को जीवन रक्षक उपकरण से हटा दिया गया.
संजीव ने बताया, ‘मेरी पत्नी अनीता ने 21 जुलाई को सदर अस्पताल में ही एक बेटी को जन्म दिया. बाद में उसे पीलिया की शिकायत हो गई. इसके बाद उसे जीवन रक्षक उपकरण के सहारे रखा गया. इसके लिए मुझसे 200 रुपये की मांग की गयी. मेरे पास 200 रुपये नहीं थे. इसके बाद उन्होंने बच्ची को मशीन से हटा दिया जिससे उसकी मौत हो गयी.’