गिरफ्तारी का सामना कर रहे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने शनिवार को यहां लोकायुक्त की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें एक हफ्ते के लिये जेल भेज दिया गया. कथित भूमि घोटाले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उन्होंने शनिवार शाम आत्मसमर्पण किया.
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दिन भर चले नाटकीय घटनाक्रम में 68 वर्षीय भाजपा नेता अदालत में उपस्थित हुए जबकि पुलिस अधिकारियों का एक दल उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर पहुंचा था. अवैध खनन घोटाले में लोकायुक्त द्वारा दोषी करार दिये जाने के परिप्रेक्ष्य में 31 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
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येदियुरप्पा जेल जाने वाले कर्नाटक के पहले पूर्व मुख्यमंत्री हैं और यह घटनाक्रम भाजपा के लिये काफी शर्मिंदगी की बात हैं क्योंकि इसके शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी यात्रा पर निकले हुए हैं.
दक्षिण भारत में भाजपा की पहली सरकार का नेतृत्व करने वाले येदियुरप्पा आडवाणी की यात्रा में दिखाई नहीं पड़े थे. मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के समय जमीन को गैर अधिसूचित करने में कथित अनियमितता के लिये दो वकीलों ने येदियुरप्पा के खिलाफ शिकायत दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए लोकायुक्त के न्यायाधीश एन. के. सुधीन्द्र राव ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी.
जेल गए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा
पूर्व मुख्यमंत्री अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुए जबकि उनके बेटे बी. वाई राघवेन्द्र और बी. वाई विजेन्द्र एवं दामाद सोहन कुमार अदालत में उपस्थित हुए और उन्हें जमानत मिल गई.
न्यायाधीश ने येदियुरप्पा को 22 अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उनके वकील एम. बी. नाईक ने इससे पहले कहा था कि लोकायुक्त के फैसले को वह उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.
अन्य आरोपी पूर्व मंत्री एस. एन. कृष्णया शेट्टी को भी 22 अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया जबकि भाजपा विधायक हेमचंद्र सागर और दस अन्य को इस मामले में जमानत दे दी गई.
येदियुरप्पा और शेट्टी की जमानत याचिकाओं को उनके अपराध की गंभीरता के आधार पर खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि जमीनों को गैर अधिसूचित करने में कथित अनियमितता में दोनों की संलिप्तता ‘व्यापक’ है.
इसने कहा कि चूंकि दोनों शक्तिशाली और प्रभावशाली लोग हैं इसलिए वे गवाहों पर दबाव बना सकते हैं और साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. इससे पहले खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाते हुए उन्होंने येदियुरप्पा और शेट्टी की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया लेकिन 14 अन्य की जमानत याचिका मंजूर कर ली.
येदियुरप्पा के आत्मसमर्पण करने के तुरंत बाद लोकायुक्त की एक टीम उन्हें पारापना अग्रहारा केंद्रीय कारागार ले गयी. येदियुरप्पा के परिजनों को जमानत के लिये दो मामलों में पांच लाख रुपये और दस लाख रुपये का मुचलका भरने का निर्देश दिया गया.
अदालत ने बाकी आरोपियों को पांच लाख रुपये का मुचलका भरने का निर्देश दिया और शर्त लगा दी कि उन्हें साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए और देश छोड़कर भागने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
अदालत का फैसला सुनते ही शेट्टी बेहोश हो गये जबकि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर येदियुरप्पा अदालत में उपस्थित नहीं हुए. शेट्टी की स्थिति देखते हुए न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जेल भेजे जाने से पहले उन्हें उपयुक्त चिकित्सा मुहैया कराई जाए.
दक्षिण भारत में भाजपा की पहली सरकार बनाने में नेतृत्व करने वाले येदियुरप्पा ने जुलाई में अवैध खनन पर लोकायुक्त की रिपोर्ट में दोषी करार दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था.
अदालत के आदेश की जानकारी मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने मुंबई की यात्रा रद्द कर दी और गृह मंत्री आर. अशोक सहित अपने मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगियों के साथ बंद कमरे में बैठक की.
बाशा ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने अराकेरे, अगारा, देवराचिकानहल्ली, गेडालाहल्ली में आरोपियों के पक्ष में जमीन को गैर अधिसूचित किया जिससे राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा.